सोमवार (12 फरवरी) को कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार के व्हाइट पेपर (White Paper) पर कई सवाल खड़े किए. उन्होंने मोदी सरकार द्वारा लाए गए व्हाइट पेपर को फर्जी करार दिया. साथ ही मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल का कुछ डेटा भी मीडिया से साझा किया.
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से देश की आर्थिक व्यवस्था को लेकर बड़े जोरों-शोरों से चर्चा रही है. सरकार कुछ बातें कह रही है. हमने भी कुछ बातें कही हैं. लेकिन असलियत ये है कि अर्थव्यवस्था पर दो मत नहीं हो सकते हैं, क्योंकि इसे आंकड़ों से आंका जाता है और आंकड़े झूठ नहीं बोलते.
व्हाइट पेपर को बताया फर्जी
उन्होंने व्हाइट पेपर को झूठा करार देते हुए आगे कहा कि सबसे पहले तो मोदी सरकार ने फर्जी व्हाइट पेपर निकाला. कितनी बड़ी विडंबना है कि 10 साल सरकार में रहने के बाद मोदी जी के पास अपने कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड नहीं है, वह 10 साल पहले की सरकार के 10 साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा लेकर आए हैं.
मोदी सरकार को दी चुनौती
कांग्रेस प्रवक्ता ने फिर सरकार को चुनौती देते हुए कि मेरी मोदी सरकार को खुली चुनौती है कि वे अपने बनाए मानक पर कांग्रेस और BJP सरकार के 10 साल के आंकड़े रखकर देख लें, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. लेकिन मोदी सरकार में ऐसा करने की हैसियत और हिम्मत नहीं है.
वित्त मंत्रालय से ली गई वैधता
मोदी सरकार के व्हाइट पेपर (White Paper) पर वित्त मंत्रालय से साजिशन वैधता ली गई. जिसमें वित्त मंत्रालय के अफसरों को खुद के किए गए कामों को नकारना पड़ा. लेकिन इन साजिशों के बावजूद UPA के 10 वर्षों की GDP ग्रोथ रेट (6.7%), BJP सरकार के 10 वर्षों से (5.9%) कहीं अधिक थी.
मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा गिनाते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि बीजेपी सरकार में-
- GDP ग्रोथ रेट 6% से नीचे आ गया
- लोगों की आय घटी, उपभोग घटा, बेरोजगारी बढ़ी
- निवेश घटा, महंगाई बढ़ी और बचत ख़त्म हो गई
- देश पर कर्ज बढ़ा, रुपया घटा
- पेट्रोल और डीजल महंगा हुआ
- बेरोजगारी सबसे बड़ी त्रासदी बनी
- उत्पादन और सर्विसेज में रोजगार घटे
- मनरेगा पर ज्यादा खर्च करना पड़ा
- शिक्षा और स्वास्थ्य में कम पैसा खर्च हुआ
- प्राइवेट निवेश गिरा
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