Electoral Bond Scam Exposed: बीते कुछ दिनों में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर कई तरह के घोटाले सामने आए. ये तब संभव हो सका जब सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दिया और चुनाव आयोग को इसका डेटा पब्लिक करने का आदेश दिया. वहीं इसके बावजूद पीएम मोदी ने सोमवार (15 अप्रैल) को एक इंटरव्यू में कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड ने काले धन को निपटाने का काम किया है.
PM मोदी ने कही ये बात
पीएम मोदी ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि मैं चाहता था कि कालेधन से हमारे चुनाव को मुक्त किया जाए, इसके लिए मुझे छोटा सा रास्ता मिला. उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड ना होते तो किस पार्टी को कहां से पैसा मिला यह कभी पता नहीं चल पाता. यह तो इसकी ताकत है कि आपको पता चल रहा है कि कहां से पैसा मिला.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond Scam Exposed) को असंवैधानिक करार देते हुए इसपर रोक लगा दी थी. साथ ही चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर डालने का आदेश दिया था. जिसके बाद इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर कई तहर के घोटाले सामने आए थे.
कई घोटाले आए सामने-
- 2018 और 2022 के बीच चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कुल दान का लगभग 75 प्रतिशत अकेले भाजपा को मिला, जो कि 60 अरब रुपए था.
- 20 नई कंपनियों, जो 3 साल से कम पुरानी हैं, ने लगभग 103 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. जबकि इलेक्टोरल बॉन्ड के नियम के मुताबिक, तीन से कम समय तक अस्तित्व में रहने वाली कंपनियों को राजनीतिक योगदान के अनुमति नहीं होती है.
- दिल्ली शराब घोटाला मामले में एक आरोपी पी शरद चंद्र रेड्डी की कंपनी अरबिंदो ने बीजेपी को कुल 34 करोड़ का चंदा दिया. बाद में पी शरद चंद्र सरकारी गवाह बन गया.
- 11 अक्टूबर 2023 को गुजरात के एक दलित किसान परिवार से धोखे से 11 करोड़ 14 हजार रुपये के इलेक्टोरल बांड खरीदे गए. बॉन्ड का यह चंदा बीजेपी और शिवसेना को गया.
- 23 फार्मा कंपनियों ने राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए करीब 762 करोड़ रुपए का चंदा दिया. ये सारी ऐसी कंपनियां हैं, जो ड्रग टेस्ट में फेल होती रही हैं, पर उनपर बैन नहीं लगा है.
- करीब 18 कंपनियां ऐसी थी, जिनपर ईडी, सीबीआई और इंकम टैक्स के छापे पड़ रहे थे, पर उन्होंने जैसे ही इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को चंदा दिया, कंपनियों के खिलाफ चल रही कार्रवाई ढीली पड़ गई.
- करीब 9 कंपनियों को बीजेपी को चंदा देने के बाद मोदी सरकार ने उनके हजारों करोड़ों के प्रोजेक्ट दिए.
- मोदी सरकार ने एसबीआई पर दबाव बनाकर 2018 के कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले एक्सपायर हो चुके 10 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड को भुनाया. ये बॉन्ड एक्सपायर हो चुके थे, क्योंकि उनकी मोचन की 15 दिन की अवधि समाप्त हो गई थी.
- चुनावी बॉन्ड के नियम तकनीकी रूप से केवल प्रत्येक नई तिमाही – जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के पहले 10 दिनों में बांड की बिक्री की अनुमति देते हैं, पर मोदी सरकार ने इन नियमों को तोड़ दिया और मई और नवंबर 2018 में महत्तवपूर्ण चुनाव के समय पर दानकर्ताओं को इन बांडों को खरीदने की अनुमति दी.
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