सत्ताधारी बीजेपी सरकार लगातार जनता को यह भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है कि देश में सब कुछ चंगा है. इसके लिए चाहे नीति आयोग का गलत इस्तेमाल करना पड़े या देश की मीडिया का, पर बीजेपी सरकार “मोदी की गारंटी” को चमकाने का एक मौका भी नहीं छोड़ती. सवाल पूछने पर दो चार जुमले सुनाकर जनता को असल मुद्दे से भटका दिया जा रहा है. राम मंदिर बना दिया और आर्टिकल-370 हटा दिया, बस यही दो तीन उप्लब्धियां गिनवाकर त्रसित जनता का मन बहलाया जा रहा है.
देश के असल मुद्दे क्या हैं?
बात करें देश के असल मुद्दे की, जिससे जनता आज सबसे ज्यादा परेशान है, वह है बेरोजगारी और गरीबी. इसपर सरकार को बात करना चाहिए, पर इन मुद्दों को दरकिनार कर धर्म के नाम पर ओछी राजनीति की जा रही है. देश का असल मुद्दा है- महिलाओं के साथ हो रहा अत्याचार, जिसे रोकने में मोदी सरकार पूरी तरह से असफल रही है.
सबसे बड़ा राज्य कहा जाना वाला उत्तर प्रदेश हाल के कुछ दिनों में सबसे चर्चित रहा. उसके चर्चा में रहने का कारण था पेपर लीक. पुलिस भर्ती परीक्षा हो या RO/ARO का परीक्षा, यूपी की बीजेपी सरकार एक भी पेपर को सही तरह से नहीं करवा पायी. जिसका नतीजा लाखों बेरोजगार युवाओं को भुगतना पड़ा.
दो युवाओं ने दी जान
पेपर लीक से हताश होकर यूपी में दो युवाओं ने अपनी जान दे दी. फिरोजाबाद में मोहल्ला नई बस्ती निवासी वर्षा (22) बड़ी उम्मीदों के साथ 17 फरवरी को पुलिस भर्ती परीक्षा देने गई थी, लेकिन पेपर लीक होने के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई. इससे आहत वर्षा ने घर के कमरे में बंद होकर दुपट्टे से फंदा कस लिया और अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली.
ठीक इसी तरह कन्नौज के 25 वर्षीय ब्रजेश पाल ने भी नौकरी न मिलने से आहत होकर आत्महत्या कर ली. ब्रजेश अपने माता पिता का इकलौता बेटा था, जिससे उसके घर वालों को बड़ी उम्मीदें थीं. पर बीजेपी सरकार की लापरवाही ने उसकी भी जान ले ली. ब्रजेश ने 18 फरवरी को पुलिस भर्ती परीक्षी दी थी. पेपर लीक के बाद काफी तनाव में था. नौकरी न मिलने से हताश ब्रजेश ने बहन के दुपट्टे से फांसी लगा ली. उसने मरने से पहले बीएससी की डिग्री को भी जला दिया. ब्रजेश ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था- “क्या फायदा ऐसी डिग्री का जो एक नौकरी न दिला सकी.”
युवाओं की मौत का जिम्मेदार कौन?
- बीजेपी सरकार, जिसने बड़ी ही लापरवाही से युवाओं की सालों की मेहनत को पानी में बह जाने दिया?
- वो लोग जिन्होंने पेपर लीक करवाया, क्योंकि उन्हें कानून का कोई डर नहीं था?