भारत में 6.7 मिलियन बच्चों को पूरे दिन खाना नसीब नहीं होता है. 2019-2021 के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करके एक अध्ययन किया गया है, जिसमें यह सामने आया है. ऐसे बच्चों को शून्य भोजन वाले बच्चे कहा जाता है जिन्होंने 24 घंटे में कुछ भी नहीं खाया हो. शून्य-भोजन वाले बच्चे 6 महीने से 2 साल की उम्र के बच्चे हैं, जिन्हें 24 घंटे की अवधि में कोई दूध या ठोस या अर्धठोस भोजन नहीं मिला है. देश में शून्य भोजन वाले बच्चों की संख्या 19.3 प्रतिशत है.
पिछड़े देशों के बराबर पहुंचा भारत
भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश बन गया है जहां के बच्चे सबसे ज्यादा भूखे रहते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 19.3 प्रतिशत बच्चों को खाना न मिलने के कारण 24 घंटे भूखे रहना पड़ता है. भारत से भी खराब जिन देशों की हालत है, वो दुनिया के सबसे पिछड़े हुए देश गिनी (21.8%) और माली 20.5%) हैं.
ये आंकड़े मोदी सरकार के मुंह पर तमाचा है, जो सार्वजनिक मंचों से बड़े-बड़े दावे करते हैं. पीएम मोदी देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ा अर्थव्यस्था बनाने की डींग हांकते हैं, लेकिन आज भारत तीसरा ऐसा देश बन गया है जहां पर 24 घंटों तक भूखे रहने वाले बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है.