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Kanwar Yatra Rules: कांवड़ यात्रा को लेकर विवाद जारी है. यात्रा मार्ग पर मौजूद ढाबों और दुकानों पर मालिकों के नाम लिखने वाले फैसले के बाद अब तक सिर्फ विपक्ष के नेताओं ने योगी सरकार पर निशाना साधा है. लेकिन अब विपक्षी दलों के साथ बीजेपी के सहयोगी दल भी योगी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं. बीजेपी के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) और बिहार की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने इस पूरे मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.
केसी त्यागी ने कही ये बात (Kanwar Yatra)
एनडीए का हिस्सा जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने भी इस आदेश को लेकर योगी सरकार की आलोचना की है. केसी त्यागी ने कहा कि इससे बड़ी यात्रा बिहार में निकलती है. वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है. प्रधानमंत्री की जो व्याख्या है- ‘सबका साथ-सबका-विकास- सबका विश्वास’, उसमें ये लगाए गए प्रतिबंध पीएम मोदी के इस व्याख्या के विरुद्ध हैं. इस नियम पर पुनर्विचार हो तो अच्छा है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम एनडीए को खुशहाल और मजबूत होते देखना चाहते हैं. पीएम मोदी की कीर्ति कम ना हो, यह चाहते हैं. इसलिए चाहते हैं कि यह नियम वापस हो. इस नियम पर समीक्षा होनी चाहिए.
RLD ने भी दी तीखी प्रतिक्रिया
वहीं, राष्ट्रीय लोकदल के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय ने इस फैसले (Kanwar Yatra Rules) को लेकर एक प्रतिक्रिया दी है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपने दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखनें का निर्देश देना जाति और सम्प्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है. प्रशासन इसे वापस ले. यह गैर संवैधानिक निर्णय है.”
मुख्तार अब्बास नकवी ने जताई नाराजगी
सीनियर BJP नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी सोशल मीडिया पर योगी सरकार के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली. अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं. आस्था का सम्मान होना ही चाहिए,पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए. जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात. रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहिं जात कुजात.”
सपा ने लगाया अंबेडकर के अपमान का आरोप
वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने इसपर (Kanwar Yatra) लिखा, “लोकसभा के चुनाव में अपनी पराजय से बौखलाई बीजेपी और आपसी झगड़े में फंसी बीजेपी सरकार प्रदेश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकना चाहती है. नाम लिखी मुसलमानों की दुकानों की सुरक्षा का भी ख़तरा है और दुकानदारों की जान का भी. इसलिए सरकार के इस जालिमाना आदेश के बाद आशंका यही है कि कांवड़ मार्ग पर गैर हिंदू कोई दुकान नहीं लगायेंगे.
उन्होंने आगे कहा कि संविधान को ख़त्म करने की मंशा पालने वाले लोग लगातार असंवैधानिक कार्य करके बाबासाहब अंबेडकर का अपमान कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के इस घोर असंवैधानिक आदेश का सर्वोच्च न्यायालय संज्ञान ले और इस पर तत्काल रोक लगाये.”
बांका से JDU सांसद गिरिधारी यादव ने कहा है कि उन्हें कोई ‘हिंदू-मुस्लिम मुद्दा’ नहीं पता है. बिहार में हिंदू और मुसलमान एक साथ रहते हैं. हम मुस्लिम त्योहारों में शामिल होते हैं और वे भी हमारे धर्म का सम्मान करते हैं. वहीं, जब भागलपुर से JDU सांसद अजय कुमार मंडल से इसके बारे में सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उनसे पूछिए जिन्होंने ये आदेश जारी किया है. मैं इस मामले पर क्या ही कह सकता हूं.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यूपी के मुजफ्फरनगर में पुलिस ने कांवड यात्रा के रूट में पड़ने वाले सभी दुकानदारों, ढाबों और रेहड़ी-पटनरी वालों को आदेश दिया है कि वो अपने दुकान के आगे अपने नाम की तख्ती लटका लें. योगी सरकार ने इसके बाद इस फैसले को पूरे राज्यभर में लागू कर दिया है. योगी सरकार के इस फैसले के बाद विपक्ष के साथ एनडीए के सहयोगी नेता भी नाराज हैं.
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