Unemployment in India

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Unemployment in India: देश में बढ़ती बेरोजगारी (Unemployment in India) महामारी का रूप लेती जा रही है. परीक्षाओं में हो रहे भ्रष्टाचार ने युवाओं का मनोबल तोड़ दिया है. नौकरी न मिलने के कारण उनमें नकारात्मकता तेजी से फैल रही है. लेकिन केंद्र की मोदी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. वहीं विपक्षी पार्टियां देश में बढ़ रही महंगाई और बेजगारी को लेकर सरकार से लगातार सवाल कर रही है.

PM मोदी ने बोला एक के बाद एक झूठ: कांग्रेस

इसी बीच संसद में बजट पेश होने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश में तेजी से बढ़ रही बेरोजगारी (Unemployment in India) को लेकर सवाल पूछे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “नौकरियों पर एक के बाद एक झूठ बोलकर, आप युवाओं के जले पर नमक छिड़क रहे हैं ! इसी वजह से हम RBI की संदिग्ध आंकड़ों के संबंध में आपसे 3 सवाल पूछना चाहते हैं-

कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा सरकार से पूछे गए 3 तीखे सवाल

Unemployment in India पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का पोस्ट
  • ऐसा क्यों है कि आपने 10 वर्षों में 20 करोड़ नौकरियों का वादा कर, 12 करोड़ से ज़्यादा नौकरियां छीन ली ? RBI की रिपोर्ट के अनुसार 2012 और 2019 के बीच में रोजगार में 2.1 करोड़ की वृद्धि हुई, पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट कहती है कि ये वृद्धि केवल 2 लाख है, बल्कि दोनों ही रिपोर्टों का मुख्य स्त्रोत सरकारी PLFS सर्वे ही है. तो फिर सच्चाई क्या है?
  • क्या ये सच नहीं है कि सरकारी PLFS डाटा के मुताबिक़, जिसके स्त्रोत का RBI हवाला दे रहा है, उसमें 37% ‘कामकाजी’ महिलाएं Unpaid (अवैतनिक) हैं? ग्रामीण क्षेत्र में ये आंकड़ा 43% के भयावह स्तर पर है.
  • क्या ये सही नहीं है कि सरकार के ही Annual Survey of Unincorporated Sector Enterprises (ASUSE) के अनुसार नोटबंदी, जीएसटी और कोविड-19 के तिगुने प्रभाव के कारण अनौपचारिक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 7 वर्षों में 54 लाख नौकरियां खत्म हो गईं?

2.3 करोड़ लोग काम पर नहीं लौटे

मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा, “अगर RBI का डाटा मान भी ले, तो ये कोई ख़ुशी की बात नहीं है कि महामारी के कारण जो फैक्ट्री-कर्मचारी, शिक्षक, छोटे दुकानदार आदि जैसे लोग अपने गांव चले गए थे, उन्हें खेतिहर मजदूर की तरह काम करना पड़ रहा है. RBI की रिपोर्ट बताती है कि 2019-20 से 2022-23 बीच ऐसे 2.3 करोड़ लोग हैं, जो अपने रेग्युलर काम पर नहीं लौटे.”

उन्होंने आगे कहा, “यह स्पष्ट नहीं है कि RBI अपने 2023-24 नंबरों पर कैसे पहुंचा, यह देखते हुए कि उसने सेक्टर-वार ब्रेकअप का खुलासा नहीं किया, कुछ ऐसा जो उसने पिछले वर्षों में किया था. मोदी जी, सालाना दो करोड़ नौकरियां देने के वादे को RBI का दुरुपयोग कर फर्जी रिपोर्टों से मत छिपाइए!”

युवाओं को रोजगार देने में मोदी सरकार की साबित हुई नकारा

गौरतलब है कि पिछले दिनों देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और गुजरात से जो तस्वीरें निकल कर आई. उससे साबित हो जाता है कि मोदी सरकार देश के युवाओं को रोजगार (Unemployment in India) देने में नकारा साबित हुए है. दरअसल, पहले गुजरात के भरूच जिले में एक प्राइवेट कंपनी ने 10 पदों के लिए इंटरव्यू रखा था. इंटरव्यू एक होटल में होना था. लेकिन इंटरव्यू के लिए बड़ी तादाद में युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ी और पहले बिल्डिंग में घुसने के लिए युवा आपस में धक्का-मुक्की करने लगे. तभी इस दौरान वहां लगी रेलिंग धराशाही हो गई. गनीमत रही कि इस दौरान किसी को कोई चोट नहीं आई.

दूसरा वीडियो मुंबई से वायरल हुआ था. यहां एयर इंडिया ने यूटिलिटी एजेंट के 1802 पदों पर भर्ती के लिए वॉक-इन इंटरव्यू आयोजित किया था. जिसमें हजारों की संख्या में कैंडिडेट्स नौकरी पाने के लिए पहुंच गए. बेरोजगार (Unemployment in India) युवाओं की नौकरी पाने के लिए उमड़ी भीड़ कंट्रोल से बाहर हो गई थी. फॉर्म काउंटर तक पहुंचने के लिए कैंडिडेट्स एक-दूसरे से धक्का-मुक्की कर रहे थे. एविएशन इंडस्ट्री एम्प्लॉइज गिल्ड (AIEG) जनरल सेक्रेटरी जॉर्ज अब्राहम ने बताया था कि कैंडिडेट्स की संख्या करीब 50 हजार थी.


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