Child Vaccination: विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ की एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसके मुताबिक, देश में 16 लाख बच्चों की जान को खतरा है. इन बच्चों (Child Vaccination) को कोई टीका नहीं लगा है. हालांकि, 2021 की रैंकिंग की तुलना में भारत में सुधार हुआ है. लेकिन फिर भी मोदी सरकार पर सवाल उठता है कि इतनी बड़ी तादाद में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों हो रहा है? रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस मामले में नाइजीरिया के बाद दूसरे स्थान पर हैं. नाइजीरिया में कुल 21 लाख बच्चों को टीके की कोई खुराक नहीं लगी है. वहीं इस मामले चीन व पाकिस्तान भारत से आगे निकल गए हैं. चीन 18 और पाकिस्तान 10वें स्थान पर है.
कांग्रेस ने साधा मोदी सरकार पर निशाना
रिपोर्ट सामने आने के कांग्रेस पार्टी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर लिखा, “2023 में देश के 16 लाख बच्चों (Child Vaccination) को किसी प्रकार का कोई टीका नहीं लगा. इनमें पोलियो, डिप्थीरिया, टिटनस, चेचक और हेपेटाइटिस जैसे टीके शामिल हैं. यानी अब बच्चों को बीमारियों से बचाने की जिम्मेदारी भी आपकी ही है. मोदी सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है.”
मोदी सरकार की विफलता
वहीं, इस मामले में कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया हेड सुप्रिया श्रीनेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर लिखा, ” यह ख़बर शायद आपकी नज़रों से बच गई हो कि वर्ष 2023 में हमारे देश के 16 लाख बच्चों (Child Vaccination) को किसी प्रकार का कोई टीका ही नहीं लगा. जिनमें पोलियो, डिप्थीरिया, टिटनस, चेचक, और हेपेटाइटिस जैसे अनेक टीके शामिल हैं. UNICEF की ये रिपोर्ट भयावह है. भारत में प्रतिवर्ष क़रीब 2.5 करोड़ बच्चे पैदा होते हैं और सामान्यतः एक बच्चे को जन्म से 1 वर्ष की आयु होने तक 9 से 10 तरह के टीके लगते हैं. अगर सिर्फ़ 1 वर्ष में 16 लाख बच्चे टीकों से वंचित रह जाते हैं तो आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि मोदी सरकार की यह विफलता कुछ ही सालों में कितनी बड़ी महामारी का रूप ले लेगी.”
हम पोलियो मुक्त देश बन पाए, लेकिन
उन्होंने आगे कहा, “आजादी के बाद से कांग्रेस सरकार ने मुफ्त टीकाकरण पर ज़ोर दिया और डॉ॰ मनमोहन सिंह की UPA सरकार में NRHM (National Rural Health Mission) के ज़रिए गांव-गांव में प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर टीकाकरण (Child Vaccination) एक बेहद सफल कार्यक्रम रहा. इसी कार्यक्रम के ज़रिए हम पोलियो मुक्त देश बन पाए. लेकिन UNICEF के आंकड़े देख कर डर लगता है कि हमारे देश में पोलियो और चेचक जैसे रोग फिर से वापस न आ जाएं.”
टीकों के नाम वोट मांगने की राजनीति
सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, “दूसरी बात यह कि एक नवजात का टीकाकरण (Child Vaccination) उतना ही अनिवार्य है जितना कि उसके पैदा होने पर सांस लेना और रोना शुरू करना. यह किसी भी सरकार का दायित्व है कि देश में जन्म लेने वाले प्रत्येक बच्चे का ‘मुफ़्त टीकाकरण’ सुनिश्चित करे. लेकिन यह सरकार तो काम करने में कम और ढिंढोरा पीटने में ज़्यादा विश्वास रखती है. हमारे देश में हमेशा से आवश्यक टीके मुफ़्त रहे हैं लेकिन इसका कभी ढिंढोरा नहीं पीटा गया और न ही इस पर राजनीति खेली गई. लेकिन कोविड के दौरान जिस तरह से टीकों के नाम वोट मांगने की राजनीति की गई और जनता पर एहसान जताया गया, वो साबित करता है कि इन्हें चिन्ता आपके स्वास्थ्य की नहीं, अपने वोट की है.”
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, “विश्व गुरु होने का दंभ भरने वाला यह देश Zero Dose Children के मामले में दूसरे नम्बर का देश बन गया है, पहले नम्बर पर नाइजीरिया है और यह दिखाता है कि- कोरोना जैसी महामारी से इस सरकार ने कुछ नहीं सीखा. स्वास्थ्य सेवाओं की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. गरीब जनता के लिए सस्ता इलाज तो दूर की बार, प्राण रक्षक टीके भी मुश्किल हो गए हैं. नरेंद्र मोदी ने अपने दो कार्यकाल में सिवाय फ़ोटो खिंचाने और बड़े-बड़े विज्ञापनों के अलावा कुछ नहीं किया. तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी अपनी सरकार बचाने और अंतर्कलह सुलझाने में व्यस्त हैं, स्वास्थ्य जैसा अहम मुद्दा दूर-दूर तक उनके एजेंडा में ही नहीं है. तो अब आपके बच्चों (Child Vaccination) के स्वस्थ रहने और बीमारियों से बचने की ज़िम्मेदारी भी आप ही के हाथ में है- सरकार का कोई लेना देना नहीं है.”
सरकार ने किया बहुत बड़ा पाप
सरकार ने किया बहुत बड़ा पाप
इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “मोदी सरकार ने लाखों बच्चों का टीकाकरण (Child Vaccination) न करके बहुत बड़ा पाप किया है. टीकाकरण की उपेक्षा का मतलब है अनमोल जीवन की हानि. कांग्रेस पार्टी द्वारा टीकाकरण में भारत की मजबूत नींव रखी गई थी, लेकिन मोदी सरकार ने बेशर्मी से इसे बर्बाद कर दिया है, क्योंकि 16 लाख बच्चों को 2023 में डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (DTP) और खसरे के प्रमुख टीके नहीं दिए गए हैं, जिससे 2022 में मिलने वाले लाभ खत्म हो गए हैं. इतना ही नहीं, मीडिया रिपोर्टों द्वारा उजागर की गई कोविड अनाथ बच्चों के प्रति घोर उदासीनता और घोर तिरस्कार से पता चलता है कि ऐसे बच्चों के लिए सहायता के लगभग 50% आवेदन #PMCARES फंड द्वारा बिना कोई कारण बताए खारिज कर दिए गए! नरेंद्र मोदी जी, अगर हमारे बच्चों की देखभाल नहीं की जाएगी तो हम ‘विकसित भारत’ कैसे सुनिश्चित करेंगे? वास्तव में PM CARES केवल दिखावे के लिए है!”
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