Chandipura Virus: गुजरात में चांदीपुरा वायरस ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. वायरस प्रदेश के बच्चों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है. अब तक चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) से 27 लोग संक्रमित हो चुका है और 15 मौते हुई हैं. वहीं, संक्रमण बढ़ने से देश की स्वास्थ्य एजेंसियां भी अलर्ट हो गई हैं. स्वास्थ्य विभाग में इस वायरस पर नजर बनाए हुए है.
राज्य के 12 जिलों में मचा हड़कंप
चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) से गुजरात के 12 जिले चपेट में आ चुके हैं. इस जिलों में वायरल लगातार अपने पैर पसार रहा है. अहमदाबाद में 2 संदिग्ध मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, राजस्थान में भी 2 मामले सामने आए हैं और एक 1 की मौत हुआ है. इसके अलावा मध्य प्रदेश में एक बच्चे की हालत नाजुक बताई जा रही हैं.
जानकारी के मुताबिक, गुजरात में 8500 से ज़्यादा घरों और 47 हज़ार से ज़्यादा लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. राज्य सरकार ने सभी के लिए एडवाइजरी जारी की है. चांदीपुरा वायरस की खबर आने के बाद पूरे देश में दहशत का माहौल है. देश की स्वास्थ्य एजेंसियां सतर्क हो गई हैं. वहीं, चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस करेंगे. स्वास्थ्य मंत्री अधिकारियों को निर्देश देंगे.
राजस्थान में मिले दो मामले
चांदीपुरा वायरस पर मीडिया से बात करते हुए साबरकांठा जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राज सुतारिया ने कहा, “हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) के 9 संदिग्ध मामले हैं. 8 बच्चों के नमूने एकत्र किए गए हैं और उन्हें एनआईबी पुणे भेजा गया है. हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं ताकि यह पुष्टि हो सके कि बच्चे चांदीपुरा वायरस से संक्रमित हैं या नहीं… अब तक राजस्थान से दो मामले, साबरकांठा जिले से चार और अरावली जिले से तीन मामले सामने आए हैं. इनमें से अब तक 6 बच्चों की मौत हो चुकी है…”
स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने चांदीपुरा वायरस के बारे में कहा, “रेत मक्खी से होने वाली चांदीपुरा बीमारी के नमूने पुणे भेजे गए हैं. अब हम इसे संदिग्ध मानते हैं. फिलहाल इसके लक्षण पाए गए हैं. रिपोर्ट आने के बाद इसकी पुष्टि होगी, लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ हमें चांदीपुरा में मिली बीमारी के बारे में बता रहे हैं. इस तरह की बीमारी ज्यादातर मध्य गुजरात में पाई जाती है. ये मक्खियां और कीड़े मिट्टी और प्लास्टर से बने घरों की दीवारों के अंदर रहते हैं. इसके अलावा करीब 8500 घरों में इसकी स्क्रीनिंग की गई है, कीटनाशकों का छिड़काव आदि किया गया है. करीब 47 हज़ार लोगों की इस बीमारी के लिए जांच की गई है.”
चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) क्या है?
यह वायरस 1965 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव में सबसे पहले पाया गया था. इस कारण इसका नाम चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) पड़ा. ये वायरस रबडोविरिडे फैमिली का एक आरएनए वायरस है. जो सबसे ज्यादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है. चांदीपुरा वायरस के फैलने के पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज जिम्मेदार हैं. 15 साल से कम उम्र के बच्चे चांदीपुरा वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. इस उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा मृत्यु दर देखी गई है. बता दें कि चांदीपुरा वायरस के इलाज के लिए अभी तक कोई एंटी-वायरल दवा विकसित नहीं की जा सकी है.
वायरस के लक्षण?
चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) के कारण मरीज को बुखार की शिकायत होती है. इसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं और यह गंभीर इंसेफेलाइटिस का कारण बनता है. इंसेफेलाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो मस्तिष्क में सूजन पैदा करती है. डॉक्टरों का कहना है कि यह वायरस ज्यादातर मक्खियों के जरिए फैलता है. शुरुआती 24 से 72 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. क्योंकि उस समय इसकी मारक क्षमता अधिक होती है. अगर आप इस दौरान अस्पताल पहुंच जाते हैं तो इलाज संभव है.
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