Indian Immigrants
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Indian Immigrants: सी-17 ग्लोबमास्टर, ये एयरक्राफ्ट भारत की इज्जत लेकर आया था. लेकिन बेइज्जत करके. अमेरिकी सेना के इस एयरक्राफ्ट में भारत के 104 लोग थे, जो जंजीरों से बंधे थे…जिनके हाथों में हथकड़ियां थीं…वे बाथरूम भी घिसटते हुए जा रहे थे. ये सच्चाई थी अमेरिका से भारत आए अवैध भारतीय प्रवासियों (Indian Immigrants) की. जो गए तो थे मोदी सरकार की नीतियों से परेशान होकर. जो अपने देश को छोड़कर डंकी रूट से अमेरिका पहुंचे थे. ये 104 भारतीय अमेरिका गए थे, क्योंकि उन्हें एक अच्छी लाइफ स्टाइल चाहिए थी, अच्छी व्यवस्थाएं चाहिए थी, लेकिन इन्हें पीएम मोदी के माय डियर फ्रेंड ने बेइज्जत कर अमेरिका से बाहर निकाल दिया.
भारतीय प्रवासियों (Indian Immigrants) के साथ हुआ गलत व्यवहार
अमेरिका से भारत लाने के दरम्यान इन भारतीय प्रवासियों (Indian Immigrants) को 40 घंटों तक हथकड़ी लगाकर रखा गया. बार-बार विनती करने के बाद उन्हें खुद को घसीटकर वॉशरूम तक जाने दिया गया. तो ऐसे हैं हमारे प्यारे प्रधानमंत्री मोदी जी के प्यारे भूरे बाल वाले दोस्त डोनाल्ड ट्रंप. जब सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट पंजाब के अमृतसर में लैंड हुआ. तो ये लग रहा था कि अमेरिका एट लिस्ट उन्हें अच्छे तरीके से भारत को सौंपेगा. लेकिन उसने किया क्या, एक गहरा दर्द दिया भारत को… एक खाई उत्पन्न कर दी भारत-अमेरिका के रिश्ते में. खैर, ये दोष अमेरिका को दें भी क्यों. ये दोष तो मोदी सरकार को देना चाहिए, क्योंकि मोदी सरकार की फेल्योर विदेश नीति ने देश को अपमानित कराया.
Indian Immigrants मसले पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर की बेबाकी कहां रह गई?
मोदी के विदेश मंत्री एस जयशंकर की बेबाक बातें हमेशा चर्चा में रहती हैं. ऐसा मोदी सरकार के मंत्री कहते हैं, लेकिन ये बेबाकी अब कहां गई जब अभी वक्त था. तो क्या 56 इंच का सीना, कमजोर होकर 26 इंच का रह गया. जी हां, भारत वापस आए भारतीय प्रवासियों (Indian Immigrants) की हालत जानकर तो आपके होश उड़ गए होंगे. लेकिन अभी कुछ और बात जानिए. उनकी 40 घंटे की यात्रा के बारे में.
भारतीय प्रवासियों (Indian Immigrants) का कहना था कि ये यात्रा नरक से बदतर थी. 40 घंटों तक वो ठीक से खाना तक नहीं खा पाए. उन्हें हथकड़ी लगाकर खाने को मजबूर किया गया. कुछ लोगों ने तो ये भी बताया कि अमेरिकी क्रू के लोग शौचालय का दरवाजा खोलकर उन्हें अंदर धकेल देते थे. क्या ये रह गई है भारत की इज्जत मोदी सरकार में.
कोलंबिया ने गरिमा के साथ अपने प्रवासियों को देश वापस लाया
एक ओर भारत की ये मोदी सरकार है, जिसने लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया. ना कोई खोज-खबर… ना कोई एक्शन… ना कोई सवाल-जवाब… ना कोई डिप्लोमेटिक बातचीत… और नाहीं कोई ग्लानी… भारतीय प्रवासियों (Indian Immigrants) पर भारत सरकार की ये हालत रही. वहीं दूसरी तरफ कोलंबिया की सरकार है. डोनाल्ड ट्रंप ने जब कोलंबिया के अवैध प्रवासियों को अमेरिकी सेना के विमान से उनके देश वापस भेजने की घोषणा की तो कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेड्रो ने इसका जबरदस्त विरोध किया.
उन्होंने सीधे तौर पर ट्रंप को जवाब देते हुए कह दिया कि वो अपने नागरिकों की ‘गरिमा’ को बरक़रार रखना चाहते हैं. इसके बाद कोलंबिया ने वायु सेना के दो विमान अमेरिका भेजे और अवैध कोलंबियन प्रवासियों को वापस लाया गया. एक देश, जिसका वैश्वीक पटल पर कोई खास महत्व नहीं है. उसने भी अपने देश के नागरिकों की गरिमा को सर्वोपरी रखा. लेकिन मोदी सरकार भारतीय प्रवासियों (Indian Immigrants) की गरिमा के बारे में सोचा तक नहीं.
भारतीय प्रवासियों (Indian Immigrants) के साथ ट्रंप ने ऐसा क्यों किया?
मोदी सरकार से देश की आम जनता के बारे में मत पूछिए, क्योंकि इन्हें जनता की कोई फिक्र नहीं है. इनके लिए देश के लोगों की गरिमा, जूतों की धूल के बराबर है. शायद अब देश की जनता को समझ आ गया होगा कि ट्रंप ने भारतीय प्रवासियों (Indian Immigrants) के साथ क्या किया है. उन्हें नफरत है भारतीयों से. लेकिन हमारे ही देश में कुछ भक्त थे. जो पूजा-पाठ कर रहे थे कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार आ जाए. कुछ यज्ञ कर रहे थे डोनाल्ड ट्रंप के लिए, लेकिन हुआ क्या. इन अंधभक्तों को कोई बताए कि देश का अपमान किया है डोनाल्ड ट्रंप ने, देश के लोगों की बेइज्जती की है, जो आजतक के इतिहास में सबसे बड़ी बेइज्जती है भारत के लिए.
2013 में कांग्रेस सरकार ने अमेरिका को झुकने पर किया था मजबूर
एक मोदी सरकार है जिसे भारतीय प्रवासियों (Indian Immigrants) की कोई परवाह नहीं थी, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की मनमोहन सरकार थी. जिसने अमेरिका को औकात में रहना सिखाई थी. समझाते हैं आपको कि कैसे कांग्रेस सरकार के सामने 2013 में अमेरिकी सरकार को झुकना पड़ा था. दरअसल, दिसंबर 2013 की वह घटना. जब भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को अमेरिका में हथकड़ी लगाई गई थी और स्ट्रिप सर्च किया गया था. तब देश में कांग्रेस की सरकार ने तब की अमेरिकी राजदूत नैन्सी पॉवेल के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया था. वहीं कई कांग्रेस नेताओं ने भारत दौरे पर आए अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया था.
अमेरिकी दूतावास को दी जाने वाली कई सुविधाएं वापस ले ली गई थी. यहां तक की तब के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अमेरिका की इस कार्रवाई को ‘निंदनीय’ बताया था. अमेरिका को आखिरकार झुकना ही पड़ा और जॉन केरी को देवयानी खोबरागड़े के साथ किए गए व्यवहार पर माफी मांगनी पड़ी थी. ऐसी थी कांग्रेस की सरकार. लेकिन मोदी सरकार से ये उम्मीद करना खुद के साथ बेईमानी होगी. क्योंकि फर्क साफ है मौदी सरकार और कांग्रेस की सरकार में. एक जो सिर्फ अपने और अपने दोस्तों के लिए सोचती है, जिसे भारतीय प्रवासियों (Indian Immigrants) की कोई परवाह नहीं थी. और कांग्रेस की सरकार, जो अपने देश की जनता के बारे में सोचती थी. जिसे देश की इज्जत से फर्क पड़ता था.
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