भारतीय जनता पार्टी (BJP) शुरु से भारतीय संविधान का विरोध करती रही है. बीजेपी और आरएसएस से जुड़े तमाम लोग संविधान पर सवाल उठाते रहे हैं और कई बार इसे बदलने की बातें कह चुके हैं. अनंत हेगड़े के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और बीजेपी के राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई भी संविधान को बदलने की पैरवी कर चुके हैं.
BJP सांसद अनंत हेगड़े का बयान
10 मार्च 2024 को अनंत हेगड़े ने कहा, “हमारा नारा है अबकी बार 400 पार. लोकसभा में हमारे पास दो-तिहाई बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत नहीं है. संविधान में बदलाव के लिए लोकसभा-राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत के साथ ही दो-तिहाई राज्यों में भी जीत हासिल करना जरूरी है.”
अनंत हेगड़े ने आगे कहा, ‘प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष शब्द को हटाने के लिए बीजेपी संविधान में बदलाव होगा. कांग्रेस ने संविधान में अनावश्यक चीजों को जोड़ा है. खास तौर से ऐसे कानून बनाए जिनका उद्देश्य हिंदू समाज को दबाना था. संविधान को मूल रूप से विकृत कर दिया गया है. अगर हमें संविधान में ये सबकुछ बदलना है, तो दो-तिहाई राज्यों में बहुमत चाहिए.”
बिबेक देबरॉय का लेख
साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने द मिंट में संविधान को लेकर एक लेख लिखा था. इसमें उन्होंने लिखा था कि हमारा मौजूदा संविधान काफी हद तक 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है. उन्होंने आगे लिखा, “कुछ संशोधनों से काम नहीं चलेगा. हमें ड्राइंग बोर्ड पर वापस जाना चाहिए और पहले सिद्धांतों से शुरू करना चाहिए, यह पूछना चाहिए कि प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, न्याय, स्वतंत्रता और समानता जैसे शब्दों का अब क्या मतलब है. हम लोगों को, खुद को एक नया संविधान देना होगा.”
RSS प्रमुख मोहन भागवत का बयान
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 2017 में हैदराबाद में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारतीय संविधान में बदलाव कर उसे भारतीय समाज के नैतिक मूल्यों के अनुरूप किया जाना चाहिए. संविधान के बहुत सारे हिस्से विदेशी सोच पर आधारित हैं और जरूरत है कि आजादी के 70 साल के बाद इस पर गौर किया जाए.
रंजन गोगोई ने संविधान के ढांचे पर उठाया सवाल
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और BJP के राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने 2023 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा में भाग लेते हुए राज्यसभा में कहा था कि केशवानंद भारती मामले पर पूर्व सॉलिसिटर जनरल (टीआर) अंध्यारुजिना की एक किताब है. इस पुस्तक को पढ़ने के बाद मेरा विचार है कि भारत के संविधान की मूल संरचना का सिद्धांत बहुत ही विवादास्पद न्यायशास्त्र पर आधारित है. मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा.
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