Supriya Shrinate on Budget 2024

Supriya Shrinate on Budget 2024

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Supriya Shrinate on Budget 2024: 23 जुलाई को संसद में बजट पेश होने वाला है. इसके पहले कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड सुप्रिया श्रीनेत ने बजट से जुड़े कई अहम मुद्दे उठाए हैं. उन्होंने देश में बेरोजगारी, महंगाई और किसानों के मुद्दों पर बात की है. शुक्रवार (19 जुलाई) को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना 7वां बजट पेश करेंगी. इससे पहले वह उद्योगपतियों, बैंकरों, अर्थशास्त्रियों, किसानों के संगठनों और कई अन्य लोगों से मिल चुकी हैं.

श्रीनेत ने सवाल किया क्या वित्त मंत्री उन परिवारों से मिली हैं, जो दिन में तीन वक्त की रोटी नहीं खा पा रहे हैं? क्या वे उन महिलाओं से मिली हैं, जो महंगाई से जूझ रही हैं? क्या वे उन किसानों से मिली हैं, जो फसल का सही दाम पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं? क्या वे उन युवाओं से मिली हैं, जो पेपर लीक से प्रताड़ित हैं? क्या वे असल हिंदुस्तान से मिली हैं? उन्होंने कहा कि ये स्पष्ट है कि वे उनसे नहीं मिली हैं. ये बजट चंद पूंजिपतियों को और अमीर बनाने के लिए बनाया जा रहा है.

सुनाई एक किसान की कहानी (Supriya Shrinate on Budget 2024)

कांग्रेस नेता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उत्तर प्रदेश के झांसी के रहने वाले किसान पुष्प्ंद्र की कहानी सुनाई. उन्होंने कहा कि मार्च, 2024 में उत्तर प्रदेश के झांसी के रहने वाले किसान पुष्पेंद्र अपनी थोड़ी सी जमीन पर मटर और गेहूं लगाते थे. हर किसान की तरह वह भी लगातार नुकसान झेल रहे थे, आमदनी लगातार घट रही थी और खर्चा बढ़ता जा रहा था. जिसके कारण उनके ऊपर करीब 1 लाख 4 हजार रुपए का कर्ज हो गया. वह इस कर्ज को चुका नहीं पाए और अंत में आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली. लेकिन इनके बारे में वित्त मंत्री या प्रधानमंत्री को कुछ नहीं पता, इसलिए बजट इनके लिए नहीं बनाया गया है.

देश की अर्थव्यवस्था की एक झलक (Supriya Shrinate on Budget 2024)

श्रीनेत ने आगे लोकस सर्कल्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश के 48% परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं. लोगों की आय कम हुई है और वे बचत का सहारा लिए जीवन जी रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज देश की हालत ‘आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया’ हो गया है.

कांग्रेस नेता (Supriya Shrinate on Budget 2024) ने आगे कहा कि बजट आने से पहले देखिए कि देश की अर्थव्यवस्था का क्या हाल है. उन्होंने कहा कि गुजरात की टूटती रेलिंग और मुंबई में एविएशन क्षेत्र की नौकरियों के लिए लाखों की भीड़, इस सरकार की झूठी दलीलों का पर्दाफाश करती हैं. आर्थिक कुप्रबंधन, नोटबंदी, आधी-अधूरी GST और अकुशल कोविड प्रबंधन जैसी नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था को 11.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.

उन्होंने कहा कि देश में 1.5 करोड़ से ज्यादा नौकरियां खत्म हो गईं. ठेका और संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों की हिस्सेदारी 2013 में 19% से बढ़कर 2022 में 43% हो गई. लेकिन नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि उन्होंने 8 करोड़ रोजगार दे दिए. उन्होंने सवाल किया कि आखिर कहां है ये नौकरियां?

क्या बजट महंगाई को रोक पाएगा? (Supriya Shrinate on Budget 2024)

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आज देश में आर्थिक असमानता की दर ब्रिटिश राज से भी बदतर है. इस देश की 1% आबादी का देश की 40% संपत्ति पर नियंत्रण है. जिसके कारण अमीर और अमीर हो रहा है, गरीब और गरीब हो रहा. उन्होंने सवाल किया कि क्या यह बजट इस खाई को भरने के लिए कुछ करेगा?

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज देश में महंगाई की मार से हर कोई परेशान है. Food Inflation लगातार 9% के ऊपर बना हुआ है और सब्जियों की कीमतों में 30% से ज्यादा की बढ़त हुई है. अमीर को फर्क न पड़ता हो, लेकिन गरीब की थाली से आपने सब्जी भी गायब करने का काम किया है. ये महंगाई हर तरफ है, जैसे- ट्रांसपोर्ट, स्कूल फीस, कपड़ा आदि. इसलिए सवाल है कि क्या ये बजट महंगाई को रोक पाएगा?

उन्होंने कहा कि उपभोग हमारी इकॉनमी का 60% हिस्सा है. आंकड़े दिखाते हैं कि कीमत घटाने के बाद भी अप्रैल और मई में FMCG की सेल आधी हो गई है. 60 हज़ार करोड़ रुपए की गाड़ियां बिना बिके पड़ी हुई हैं. महंगाई का आलम ये है कि कार खरीदने वाले भी कार नहीं खरीद पा रहे हैं.

‘हिंदुस्तान में बचत का कल्चर है’ (Supriya Shrinate on Budget 2024)

सुप्रिया श्रीनेत ने आगे कहा कि हिंदुस्तान में बचत का कल्चर है। इस कल्चर ने हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत रखा है। लेकिन आज हम बेरोजगारी, महंगाई, कम आय का इतना दंश झेल रहे हैं कि जो घरेलू कर्ज 25% GDP से कभी ऊपर नहीं गया, वह आज 41% के पास है। घरेलू कर्ज बढ़कर GDP का 41% हो गया है, जिसके कारण घरेलू बचत GDP के 6% से कम पर आ गई है। पेट्रोल-डीजल की बात करें तो, 5 बड़ी कंपनियों ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर करीब 900 अरब रुपए की बचत की.. लेकिन क्या जनता के लिए पेट्रोल-डीजल सस्ता हुआ?


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