‘नारी सुरक्षा में सेंधमारी करने वालों को पाताल से भी ढूंढ लाएंगे.’
‘या तो अपराधी उत्तर प्रदेश छोड़ दें या फिर अपराध.’
‘बहन-बेटी को छेड़ा तो अगले चौराहे पर यमराज इंतज़ार करेगा.’
ये सारे बयान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हैं, मगर अफसोस ये कि योगी जी के ये बयान महज़ शब्दों तक ही सीमित रह गए, अपराधी तो अब भी डटे हुए हैं.उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में अपराध कम होने का दावा करती है. लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी (NCRB) की रिपोर्ट के आंकड़े कुछ और ही बयां करते हैं. एनसीआरबी के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराध मामले में 28 राज्यों में से उत्तर प्रदेश नंबर वन पर है, यहां पर महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए हैं. कांग्रेस ने भी इसे लेकर यूपी सरकार पर निशाना साधा है.
हाल ही में आई एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक़, यूपी में साल 2022 में में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 65,743 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र आता है, जहां 45,331 मामले और तीसरे नंबर पर राजस्थान में 45,058 मामले दर्ज किए गए. जबकि साल 2021 में यूपी में महिलाओं के खिलाफ 56,083 अपराध के मामले दर्ज किए गए, इसके बाद राजस्थान 40,738 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर रहा था.
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में देशभर में महिलाओं के खिलाफ कुल 445,256 अपराध के मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में दर्ज 428,278 से चार प्रतिशत अधिक है. इनमें से ज्यादातर मामले पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा मारपीट के आते हैं. इसके बाद अपहरण, रेप जैसे मामले हैं.
2023 में भी हालात रहे ख़राब
इतना ही नहीं, यूपी में साल 2023 में भी हालात जस के तस रहे. राष्ट्रीय महिला आयोग की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की 28,811 शिकायतें मिलीं. इनमें 50 प्रतिशत से अधिक मामले यूपी से रिपोर्ट किए गए. सबसे ज्यादा शिकायतें ‘गरिमा के अधिकार’ (right to dignity) श्रेणी में मिलीं. महिला आयोग ने बताया कि घरेलू हिंसा के अलावा अन्य श्रेणियों के तहत भी उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज कराई गईं.