Crimes against SC/ST

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Crimes against SC/ST: केंद्र में लगातार भाजपा ने तीसरी बार सरकार बना ली है और नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन चुके है. लेकिन देश में अपराध लगातार बढ़ता जा है. एक ओर भाजपा के तथाकथित राष्ट्रवादी अनुयायी मोदी के शासन में अखंड भारत का सपना देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत के भीतर ही सवर्णों और दलितों (Crimes against SC/ST) के बीच की खाई और बढ़ती नजर आ रही है.

3 वर्ष में बहुत तेजी से बढ़े आंकड़े

बीते 3 वर्षों के दलितों और आदिवासियों (Crimes against SC/ST) के खिलाफ लगातर अपराध के मामले बढ़ रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों को ही सच मानें तो पिछले 3 वर्ष में दलितों और आदिवासियों (Crimes against SC/ST) के विरोधी हिंसा के मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है. साल 2020 में दलितों के खिलाफ अपराध के 50,291 मामले दर्ज हुए थे. 2021 में यह आंकड़ा 50,900 के पहुंच गया. वहीं, साल 2022 में दलितों के खिलाफ अपराध के मामले 57,582 हो गए.

मोदी सरकार में आदिवासियों के खिलाफ बढ़ा अपराध

वहीं, आदिवासी समाज (Crimes against SC/ST) के खिलाफ भी मोदी सरकार में लगातार वृद्धि हुई है. आंकड़ों के मुताबिक, ST वर्ग के खिलाफ साल 2020 में 8,272 मामले दर्ज और साल 2021 में 8,802 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं, साल 2022 में आदिवासियों (Crimes against SC/ST) के खिलाफ अपराध के मामले बढ़कर 10,064 पर पहुंच गए. बता दें, आंकड़े सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार पर हमला बोला.

मोदी सरकार की ‘दलित विरोधी’ मानसिकता का सबूत: कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर आंकड़े शेयर करते हुए लिखा, देश में दलित और आदिवासियों के खिलाफ अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ये आंकड़े मोदी सरकार की ‘दलित विरोधी’ मानसिकता का सबूत हैं, जहां उनके अधिकार छीने जाते हैं और आवाज उठाने पर उनका स्वाभिमान कुचला जाता है. साफ है- मोदी सरकार में दलित और आदिवासी समाज सुरक्षा, समानता और सम्मान के लिए संघर्ष करने को मजबूर है.


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