चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (15 फरवरी) को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह स्कीम आरटीआई का उल्लंघन है. साथ ही कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से चुनावी बॉन्ड स्कीम पर रोक लगा दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि एसबीआई सभी पार्टियों से मिले चंदे की जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को दे और चुनाव आयोग 13 मार्च तक यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे. इसके अलावा जो बॉन्ड अभी कैश नहीं हुए, राजनीतिक दल उसे बैंक को वापस करें.
कांग्रेस ने किया फैसले का स्वागत
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि इश फैसले का लंबे समय से इंतजार था और वह इस फैसले का स्वागत करते हैं.
जयराम रमेश ने कहा कि चुनावी बॉन्ड के रद्द होने से नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार चंदादाताओं को विशेषाधिकार दो रही है और दूसरी तरफ अन्नदाताओं पर अत्याचार कर रही है.
साथ ही उन्होंने कहा कि हमें यह भी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर ध्यान देगा कि चुनाव आयोग लगातार वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मिलने से भी इनकार कर रहा है. यदि मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?
बीजेपी के लिए बड़ा झटका
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बीजेपी के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि चुनावी बॉन्ड से सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को ही मिल रहा था. चुनाव आयोग के आंकड़ो से पता चलता है कि 2018 और 2022 के बीच चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कुल दान का लगभग 75 प्रतिशत भाजपा को मिला, जो कि 5,059 करोड़ रुपये था. जबकि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को 947 करोड़ रुपए मिले.
मोदी सरकार ने तोड़े नियम
बीजेपी और कांग्रेस को मिले इस दान के बीच बेमेल यह बताने के लिए काफी है कि किस तरह से बीजेपी चुनावी बॉन्ड को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही थी. यहा तक की मोदी सरकार के पास इन बांडों की बिक्री का समय निर्धारित करने की भी शक्ति है. चुनावी बॉन्ड नियम तकनीकी रूप से केवल प्रत्येक नई तिमाही – जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के पहले 10 दिनों में बांड की बिक्री की अनुमति देते हैं, पर मोदी सरकार ने इन नियमों को तोड़ दिया और मई और नवंबर 2018 में महत्तवपूर्ण चुनाव के समय पर दानकर्ताओं को इन बांडों को खरीदने की अनुमति दी.
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