Train Accidents in 10 Years: मोदी सरकार के 10 सालों में देश की हालत बिगड़ चुकी है. महंगाई ने सारी सीमाएं पार की दी है, बेरोजगारी चरम पर है. लेकिन इन 10 सालों में सबसे ज्यादा जो चीज तबाह हुई है, वह है भारत की रेल व्यवस्था. हर दूसरे दिन इसकी बदहाली के वीडियोज सामने आते हैं, जहां ट्रेन के टॉयलेट में बैठकर सफर करते हुए मजबूर यात्री दिखाई देते हैं. यही नहीं, मोदी सरकार में रेल हादसे भी बहुत हुए हैं.
आंकड़ों की बात करें, तो साल 2014 से 2024 के बीच में कुल 63 रेल हादसे हुए, जिसमें लगभग 858 लोगों की जान चली गई है और हजारों की संख्या में लोग घायल हुए. पर मोदी सरकार ने न इन मौतों की जिम्मेदारी ली और न ही इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया. उल्टा ट्रेन की टिकट और महंगी कर दी. यहां तक कि प्लेटफॉर्म टिकट के भी दाम बढ़ा दिए.
टिकट हुए महंगे
विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क कहा जाने वाला भारतीय रेल नेटवर्क, जो लगभग 65000 हजार किलोमीटर में फैला हुआ है, वह गरीबों को एक आरामदायक यात्रा तक नहीं दे सकता. इतने महंगे टिकट खरीदने के बाद भी आज भारत के लोगों को ट्रेन के टॉयलेट में बैठकर सफर करना पड़ रहा है.
इसके अलावा भी भारतीय ट्रेनों में कई बड़ी दिक्कतें हैं. जिनमें सबसे बड़ा है ट्रेनों का लेट होना. देश में हर 10 में से 3 ट्रेनें समय पर नहीं चलती हैं. पिछले साल का ही आंकड़ा देखें, तो 2023 में कुल 1.5 लाख ट्रेनें लेट हुईं. कई बार तो यात्री स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते रह जाते हैं और ट्रेन रद्द हो जाती है. ऐसे में यात्रियों का समय तो बर्बाद होता ही है, उनका पैसा भी बर्बाद होता है. पर प्राइवेट प्लेन में घूमने वाले प्रधानमंत्री मोदी को गरीब जनता की ‘सवारी’ से कोई लेना देना नहीं है.
पिछले 10 सालों में हुए रेल हादसों के आंकड़े (Train Accidents in 10 Years) –
- 2014- 3 हादसे, 49 मौतें
- 2015- 7 हादसे , 113 मौतें
- 2016- 8 हादसे, 155 मौतें
- 2017- 8 हादसे, 67 मौतें
- 2018- 5 हादसे, 71 मौतें
- 2019- 5 हादसे, 7 मौतें
- 2020- 2 हादसे, 19 मौतें
- 2021- 4 हादसे, 2 मौतें
- 2022- 3 हादसे, 9 मौतें
- 2023- 18 हादसे, 349 मौतें
- 2024 (17 जून) तक- 2 हादसे, 17 मौतें
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