लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू कर दिया है. इस संबंध में सरकार ने सोमवार (11 मार्च) को अधिसूचना जारी की. बता दें कि सीएए को देश की संसद से पारित हुए लगभग 5 साल पूरे हो गए हैं. अब जब देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू हुआ है तब विपक्ष सरकार के नियत पर सवाल उठा रहा है.
दी जाएगी भारतीय नागरिकता
सीएए नियम जारी किए जाने के बाद अब 31 दिसंबर 2014 तक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता दिया जाएगा. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने CAA को लागू किए जाने के बाद कहा, “जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा?”
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है, भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गये. चाहे कुछ हो जाए कल ‘इलेक्टोरल बांड’ का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘केयर फ़ंड’ का भी.
वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए. प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है. सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है.
उन्होंने आगे कहा कि नियमों की अधिसूचना के लिए नौ बार एक्सटेंशन मांगने के बाद घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है. ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव को ध्रुवीकृत करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में. यह इलेक्टोरल बांड घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार और सख़्ती के बाद हेडलाइन को मैनेज करने का प्रयास भी प्रतीत होता है.