Internal Debt

Internal Debt: मोदी राज में GDP के 55% से ज्यादा हुआ आंतरिक कर्ज

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Internal Debt: मोदी राज में भारतीय जनता एक तरफ बेरोजगारी और महंगाई की मार झेल रही है. तो दूसरी तरफ भारत सरकार का राजकोषीय भी घटता जा रहा है. बीते 10 सालों में देश का आंतरिक कर्ज जीडीपी के मुकाबले 55 फीसदी से ज्यादा हो गया है. यह जानकारी मोदी सरकार के केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में दी है.

जीडीपी के 55 फीसदी से ज्यादा आंतरिक कर्ज (Internal Debt)

उन्होंने एक सवाल के जवाब में देश के ऊपर कर्ज के आंकड़ों की जानकारी देते हुए कहा, “देश के ऊपर आंतरिक कर्ज (Internal Debt) के आंकड़े में बीते 10 साल के दौरान तेजी आई है और अब यह जीडीपी के 55 फीसदी से ज्यादा हो गया है. आंकड़ों के अनुसार, देश के ऊपर 2013-14 में जीडीपी के 48.8 फीसदी के बराबर आंतरिक कर्ज था. अब यह आंकड़ा बढ़कर 2023-24 में जीडीपी के 55.5 फीसदी के बराबर पर पहुंच गया है.”

देश का राजकोषीय भी घटा

वहीं,  मोदी राज में आंतरिक कर्ज (Internal Debt) बढ़ने के साथ 2023-24 में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कमी आई है. 2022-23 देश का राजकोषीय 17,37,755 करोड़ रुपए था. लेकिन 2023-24 यह 16,53,670 करोड़ रुपए रह गया. 2021-22 में भारत का राजकोषीय 15,84,521 करोड़ रुपए था. बता दें कि सरकार का कहना है कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में केंद्र सरकार के आंतरिक ऋण (Internal Debt) में वृद्धि मुख्य रूप से कोविड-19 महामारी के कारण हुई है. सरकार ने बताया कि यह आंकड़ा 2020-21 में जीडीपी के 58.3 प्रतिशत तक पहुंच गया था, जो पिछले वित्त वर्ष में घटकर जीडीपी का 55.5 प्रतिशत रह गया. कोविड के बाद के वर्षों में इसने तेजी से ऋण कम किया गया है.

मोदी राज में बढ़ी थोक महंगाई दर

देश में आंतरिक कर्ज (Internal Debt)में बढ़ोतरी के साथ थोक महंगाई दर भी बढ़ी है. पिछले दिनों सांख्यिकी मंत्रालय ने जून माह के लिए थोक महंगाई दर के आंकड़े घोषित किए थे. जिसके डेटा के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण जून में थोक महंगाई दर 16 महीने के उच्चतम स्तर 3.36% पर पहुंच गई है. बता दें कि इससे पहले मई महीने में यह 2.61 प्रतिशत पर थी. वहीं, मई में खाद्य महंगाई दर 7.40 फीसदी थी जो जून में बढ़कर 8.68 फीसदी को गई है. जून में बढ़ी महंगाई दर की मुख्य वजह खाद्य महंगाई दर और प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर है. इसके अलावा जो विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर जो एक प्रतिशत से भी कम थी, इस बार डेढ़ प्रतिशत के करीब पहुंच गई है. मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, जिसका असर थोक महंगाई दर पर पड़ा है.

इतनी बढ़ी महंगाई दर

प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर पिछले महीने (मई) ये 7.20 फीसदी से बढ़कर जून में 8.80 फीसदी हो गई है. वहीं, मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर में भी इजाफा हुआ है. यह मई 1.03 फीसदी से बढ़कर जून में 1.43 फीसदी हो गई है. इसके अलावा फ्यूल एंड पावर सेगमेंट की थोक महंगाई दर में घटी है. जो जून में 1.35 फीसदी पर रही. मई 2024 में ये आंकड़ा 1.03 फीसदी डब्ल्यूपीआई का था. इसके अलावा जून के महीने में अंडे, मांस और मछली जैसी खाद्य वस्तुओं की कीमतें गिरकर शून्य से नीचे चली गई हैं. जून में अंडा, मांस और मछली की महंगाई दर -2.19 प्रतिशत रही. मई में यह 1.58 प्रतिशत पर थी.


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