दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलतराम कॉलेज से हटाई गईं प्रोफेसर डॉ. रितु सिंह कला संकाय के बाहर पकौड़े बेचने को मजबूर हैं. पीएचडी पकौड़े वाली के नाम से उन्होंने कला संकाय के बाहर स्टॉल लगाना शुरू किया था. हालांकि बाद में पुलिस ने गैर कानूनी बताते हुए हटा दिया और उन पर एफआईआर भी दर्ज कर ली. वे एक बार फिर स्टॉल लगाने वाली हैं. इस बार कांग्रेस ने भी खुले तौर पर प्रोफेसर डॉ. रितु सिंह का समर्थन किया है.
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रितु सिंह का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा है कि इनका नाम डॉ. रितु सिंह है, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं. डॉ. रितु का कहना है कि उनके साथ जातिगत आधार पर भेदभाव किया गया और नौकरी से निकाल दिया गया. अपने साथ हुए इस अन्याय के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए ये पकौड़े बेच रही हैं और मोदी सरकार की युवा विरोधी नीतियों का विरोध कर रही हैं.
मोदी सरकार में बेरोजगारी ने सारी सीमाएं लांघ दी हैं. हालात इतने बुरे हैं कि PhD करने के बाद भी युवा पकौड़े बेचने को मजबूर हैं. कांग्रेस बेरोजगारी के खिलाफ इस जंग में युवाओं के साथ है. हम युवाओं को न्याय दिलाकर ही रहेंगे.
डॉ. रितु सिंह के समर्थन में कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि डॉ. रितु सिंह, दलित समाज से आने वाली एक PhD स्कॉलर हैं, जो मोदी सरकार में पकौड़े बेचने को मजबूर हैं. लेकिन अमित शाह की दिल्ली पुलिस उन्हें पकौड़े भी नहीं बेचने दे रही है. वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि PhD कर चुकी एक काबिल दलित लड़की को गैर कानूनी तरीके से नौकरी से हटाया गया है. भारत की बेटी को प्रधानमंत्री की सलाह मानते हुए आज पकौड़े बेचने पड़ रहे हैं। लेकिन उन्हें वो भी नहीं करने दिया जा रहा है.