देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) भले ही लागू कर दिया गया हो लेकिन इससे जुड़े विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. विपक्ष लगातार मोदी सरकार की नियत पर सवाल उठा रहा है. अब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं.
CAA संविधान के मूल भावना के खिलाफ
असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में कहा है कि संशोधित कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. यह आर्टिकल 14, 25 और 21 का उल्लंघन करता है, इसलिए जब तक सुनवाई होती है, इस कानून को लागू करने पर रोक लगा देनी चाहिए. एआईएमआईएम चीफ ने कोर्ट से कहा कि सीएए के बाद देश में एनआरसी आ रहा है और ये दोनों का अपवित्र गठजोड़ है. एनआरसी के जरिए भारतीय मुसलमानों को निशाना बनाए जाने की योजना है.
अल्पसंख्यक समुदाय को टारगेट करने की योजना
असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि सीएए से उत्पन्न बुराई केवल नागरिकता प्रदान करने को कम करने में से एक नहीं है, बल्कि नागरिकता से इनकार करने के परिणामस्वरूप उनके खिलाफ चुनिंदा कार्रवाई करने के लिए एक अल्पसंख्यक समुदाय को अलग-थलग करना है.
गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट यानी सीएए के नियमों का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसी के साथ यह क़ानून देश में लागू हो गया है. इस क़ानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय को नागरिकता दी जाएगी.
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