Modi vs Poor: मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में अमीरों और गरीबों के बीच खाई पैदा करने का काम किया है. अब वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब की रिपोर्ट (World Inequality lab) ने भी इस बात की पुष्टि की है. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2014-15 से लेकर साल 2022-23 के बीच मोदी राज में असमानता सबसे तेजी से बढ़ी है. खासकर के लोगों की इनकम में सबसे ज्यादा असमानता देखने को मिला है. रिपोर्ट के अनुसार, आय में असमानता के मामले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों को भी पीछे छोड़ दिया है.
अडानी, अंबानी की तरफ पीएम मोदी का झुकाव
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का झुकाव भी अडानी, अंबानी जैसे अमीर लोगों की तरफ ज्यादा रहा है. मोदी सरकार में अमीरों की आय दोगुनी हुई है. मुकेश अंबानी, गौतम अडानी और सज्जन जिंदल जैसे लोग दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में शामिल हो गए हैं. इन्हें अमीरों की सूची में पहुंचाने में मोदी सरकार का सबसे बड़ा हाथ रहा है. टैक्स में कटौती से लेकर सरकारी एयरपोर्ट्स, पोर्ट्स को अडानी, अंबानी जैसे समूहों को बेचकर मोदी सरकार ने इनकी आय को दोगुना करने का काम किया है.
मोदी सरकार को क्या फायदा मिला?
अब सवाल उठता है कि आखिर इन अमीरों को और ऊंचाई पर पहुंचाकर मोदी सरकार को क्या हासिल हुआ? इसका खुलासा हाल ही में सामने आए इलेक्टोरल बॉन्ड के डाटा ने किया है. चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के डाटा से पता चला है कि इसके जरिए देश की बड़ी कंपनियों ने भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी) को 6000 करोड़ से अधिक का चंदा दिया. इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले कुल चंदे का 58 प्रतिशत सिर्फ बीजेपी को मिला.
इससे यह तो साफ है कि मोदी सरकार मुफ्त में कुछ नहीं करती है. एक हाथ से बीजेपी सरकार अमीरों को फायदा पहुंचाती है, तो दूसरे हाथ से उनसे चंदा वसूल लेती है. जैसा कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस दावा करती है कि मोदी सरकार का सीधा फंडा है- ‘चंदा दो, धंधा लो’.
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