Rift Between BJP and RSS: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के बीच फूट की खबरें लंबे समय से आ रही हैं. लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में यह बात पूरी तरह से साफ हो गई कि दोनों के बीच मदभेद गहरे हैं. लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता एक्टिव नहीं थे. संघ के स्वयंसेवक पिछले चुनावों में हर बीजेपी को ज्यादा से ज्यादा वोट दिलाने की जिम्मेदारी लेकर जमीनी स्तर पर काम करते थे. बीजेपी के समर्थकों को पोलिंग बूथ तक पहुंचाने का काम भी करते थे. लेकिन इस बार ये स्वयंसेवक एक्टिव नहीं दिखे.
चुनाव में नहीं एक्टिव थे स्वयंसेवक
सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव के शुरुआत के पांच चरणों में संघ के पदाधिकारियों ने चुनाव को लेकर कोई मीटिंग नहीं की और न ही स्वयंसेवकों को इससे जुड़ा कोई मेसेज मिला. इस बार स्वयंसेवकों को बीजेपी के लिए काम करने के लिए भी नहीं कहा गया. हालांकि छठे चरण में वोटिंग से पहले संघ की एक बैठक बुलाई गई थी और काम करने को लेकर बातचीत भी हुई थी. लेकिन इसी बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का यह बयान आ गया कि बीजेपी को अब आरएसएस की जरूरत नहीं है. जिसके बाद संघ के स्वयंसेवकों ने फिर काम छोड़ दिया.
नड्डा- BJP को RSS की जरूरत नहीं
दरअसल, लोकसभा चुनाव के छठे चरण के मतदान के पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि बीजेपी को पहले संघ की जरूरत होती थी, लेकिन अब बीजेपी सक्षम हो गई है. इनके इस बयान की सियासी गलियारे में खूब चर्चा हुई. साथ ही यह भी साफ हो गया कि BJP और RSS के रास्ते अब अलग हो गए हैं. यह भी माना जा रहा है कि चुनाव में संघ का साथ न मिलने की वजह से ही BJP ने उत्तर प्रदेश में बुरी तरह से मात खाई है. यहां तक कि कई सीटों पर चुने गए उम्मीदवारों को लेकर संघ के कुछ लोगों ने नाराजगी भी जाहिर की थी.
RSS नेता ने अमित मालवीय पर लगाए गंभीर आरोप
अब एक और ताजा मामला सामने आया है, जिसने इस बात पर मुहर लगा दी है कि बीजेपी और आरएसएस के रास्ते अलग हो गए हैं. दरअसल, आरएसएस के नेता शांतनु सिन्हा ने बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय पर महिलाओं के साथ यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं इसके बाद अमित मालवीय ने शनिवार को शांतनु सिन्हा को कानूनी नोटिस भेज दिया है. ये सारी बातें बीजेपी और आरएसएस के बीच फूट की ओर इशारा कर रही हैं.
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