Electoral Bond News: भारत में फर्जी दवाइयां धड़ल्ले से मार्केट में बिक रहीं हैं. आये दिन ऐसी खबरें आती हैं, जब प्रचलित दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल होते रहे हैं. हालांकि उन दवाइयों की बिक्री पर पूरी तरफ से रोक नहीं लग पाती. इससे पीछे सबसे बड़ी वजह देश का भ्रष्ट सिस्टम है. चुनाव आयोग द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर, जो डेटा जारी किया गया है उसमें यह बात एक बार फिर साबित होती दिख रही है.
दरअसल, जिन कंपनियों की दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए उन्होंने सैकड़ों करोड़ रुपयों के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर दिए हैं. गौरतलब है कि हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग को जो डेटा उपलब्ध करवाया है, उसमें यह बात साफ हो गई है कि 23 फार्मा कंपनियों और एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिये करीब 762 करोड़ रुपए का चंदा राजनीतिक दलों को दिया है.
ऐसे में आइए नजर डालते हैं उन फार्म कंपनियों पर, जिनके ड्रग टेस्ट फेल हुए और, जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को दिए.
- टोरेंट फ़ार्मास्यूटिकल लिमिटेड
टोरेंट फ़ार्मास्यूटिकल लिमिटेड का रजिस्टर्ड दफ्तर गुजरात के अहमदाबाद में है. साल 2018 से 2023 के बीच इस कंपनी की बनाई तीन दवाओं के ड्रग टेस्ट फेल हुए.ये दवाएं थीं डेप्लेट ए 150, निकोरन आईवी 2 और लोपामाइड. डेप्लेट ए 150 दिल का दौरा पड़ने से बचाती है और निकोरन आईवी 2 दिल के कार्यभार को कम करती है. लोपामाइड का इस्तेमाल अल्पकालिक या दीर्घकालिक दस्त के इलाज के लिए किया जाता है. इस कंपनी ने 7 मई 2019 और 10 जनवरी 2024 के बीच 77.5 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. इन 77.5 करोड़ रुपए में से 61 करोड़ भारतीय जनता पार्टी को दिए गए.
2- सिप्ला लिमिटेड
सिप्ला लिमिटेड का रजिस्टर्ड दफ्तर मुंबई में है. साल 2018 से 2023 के बीच इस कंपनी की बनाई दवाओं के सात बार ड्रग टेस्ट फेल हुए. ड्रग टेस्ट फेल करने वाली दवाओं में आरसी कफ सिरप, लिपवास टैबलेट, ओन्डेनसेट्रॉन और सिपरेमी इंजेक्शन शामिल थी. सिपरेमी इंजेक्शन में रेमडेसिविर दवा होती है, जिसका इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया जाता है. लिपवास का इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय रोगों के ख़तरे को कम करने के लिए किया जाता है. ओन्डेनसेट्रॉन का इस्तेमाल कैंसर कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी के कारण होने वाली मतली और उल्टी को रोकने के लिए किया जाता है. इस कंपनी ने 10 जुलाई 2019 और 10 नवम्बर 2022 के बीच 39.2 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे.
3-सन फार्मा लेबोरेटरीज़ लिमिटेड
इस कंपनी ने साल 2020 और 2023 के बीच छह बार इस कंपनी की बनाई गई दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए. टेस्ट में फ़ेल होने वाली दवाओं में कार्डीवास, लैटोप्रोस्ट आई ड्रॉप्स, और फ़्लेक्सुरा डी शामिल थीं.कार्डिवास का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप, हृदय से संबंधित सीने में दर्द (एनजाइना) और हार्ट फेलियर इलाज के लिए किया जाता है.15 अप्रैल 2019 और 8 मई 2019 को इस कंपनी ने कुल 31.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे. ये सारे बॉन्ड कंपनी ने बीजेपी को दिए.
4- ज़ाइडस हेल्थकेयर लिमिटेड
साल 2021 में बिहार के ड्रग रेगुलेटर ने इस कंपनी की बनाई गई रेमडेसिविर दवाओं के एक बैच में गुणवत्ता की कमी की बात कही थी. रेमडेसिविर का इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया जाता है 10 अक्टूबर 2022 और 10 जुलाई 2023 के बीच इस कंपनी ने 29 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे.
- हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड और हेटेरो लैब्स लिमिटेड
साल 2018 और 2021 के बीच इस कंपनी की बनाई गई दवाओं के सात ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए. ड्रग टेस्ट में फ़ेल हुई दवाओं में रेमडेसिविर इंजेक्शन, मेटफॉरमिन और कोविफोर शामिल थीं.रेमडेसिविर और कोविफोर का इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया जाता है जबकि मेटफॉरमिन का इस्तेमाल डायबिटीज या मधुमेह के लिए होता है. हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड ने 7 अप्रैल 2022 और 11 जुलाई 2023 को 30 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे.
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