Agnipath Scheme: लोकसभा चुनाव में 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी इस बार 300 भी नहीं पार कर पाई. उत्तर प्रदेश, जहां से उसे सबसे ज्यादा उम्मीदें थी, वहीं से वह सबसे बुरी तरह हारी. अब मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आने के बाद अपनी कमियां तलाश रही है. गौरतलब है कि जिन इलाके से बड़ी संख्या में युवा सेना में जाते हैं, उन इलाकों में बीजेपी को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. वजह है- मोदी सरकार की अग्निपथ स्कीम. लेकिन अब मोदी सरकार ने अपनी गलती मान ली है और इस स्कीम में सुधार के लिए एक समिति बनाई है.
कांग्रेस ने बनाया दबाव
जानकारी हो कि मोदी सरकार ने भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों की अल्पकालिक भर्ती के लिए जून 2022 में अग्निपथ योजना को शुरु किया था. जब यह स्कीम आयी तो देश के युवाओं ने इसका कड़ा विरोध किया, लेकिन मोदी सरकार ने उनकी एक न सुनी और इसे लागू कर दिया. लेकिन जब कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया तो मोदी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने हर भाषण में अग्निपथ स्कीम को लेकर आवाज उठाया, जिससे मोदी सरकार पर दबाव बना और उसे पीछे हटना पड़ा.
अब होंगे अग्निपथ योजना में बदलाव
मोदी सरकार ने अब अग्निपथत योजना (Agnipath Scheme) की समीक्षा के लिए कैबिनेट के 10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों के एक समूह बनाया है. यह समूह अग्निपथ योजना की समीक्षा के साथ सशस्त्र बलों की भर्ती योजना को और अधिक आकर्षक बनाने के तरीके भी सुझाने का काम करेगी. जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी जब जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होकर वापस लौटेंगे, तब सचिवों का यह समूह अग्निपथ स्कीम में बदलाव के लिए अपना अंतिम सुझाव देगा. खबरों की मानें, तो 17 या 18 जून को सचिवों का पैनल प्रधानमंत्री कार्यालय में इस स्कीम को लेकर एक विस्तृत प्रजेंटेशन पेश कर सकता है.
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