Prerna Sthal Inauguration: संसद भवन में स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों को हटाकर दूसरी जगह पर शिफ्ट किया गया है. इसे लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस का कहना है कि बिना किसी परामर्श के मनमाने ढंग से इन मूर्तियों को हटाना लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है. हालांकि लोकसभा स्पीकर ने इसपर सफाई देते हुए कहा है कि मूर्तियों को उनके स्थान से इसलिए हटाया गया है ताकि सबको एक जगह रखा जा सके जिससे लोगों को महान शख्सियतों के बारे में जानने से आसानी होगी.
बता दें कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को संसद भवन परिसर में ‘प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन (Prerna Sthal Inauguration) किया, जिसमें देश के महान नेताओं की मूर्तियों को नई जगह पर स्थापित किया गया है.
क्यों विरोध कर रही कांग्रेस?
दरअसल, पहले महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव की मूर्तियां प्रमुख स्थानों पर स्थापित की गई थीं. इन स्थानों पर विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ समय समय पर शांतिपूर्ण और लोतकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन करते थे.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संसद भवन परिसर में राष्ट्रीय नेताओं और सांसदों के चित्रों और मूर्तियों को स्थापित करने के लिए एक समर्पित समिति है, जिसमें दोनों सदनों के सांसद शामिल होते हैं. ऐसे में संबंधित हितधारकों के साथ उचित चर्चा और विचार-विमर्श के बिना किए गए ऐसे निर्णय हमारी संसद के नियमों और परंपराओं के खिलाफ हैं.
स्पीकर ने दी सफाई
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा है कि सभी मूर्तियों को प्रेरणा स्थल में शिफ्ट किया गया है, जो पुराने संसद भवन और संसद पुस्तकालय भवन के बीच लॉन में स्थित है. उन्होंने कहा कि नए संसद भवन के निर्माण कार्य के दौरान महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू और चौधरी देवी लाल की प्रतिमाओं को परिसर के अंदर अन्य स्थानों पर ले जाया गया. प्रेरणा स्थल पर प्रतिमाओं के चारों तरफ लॉन और उद्यान बनाए गए हैं, ताकि विजिटर्स आसानी से उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें और क्यूआर कोड का इस्तेमाल करके जानकारी प्राप्त करके उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें.
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