Haji Raza Building Demolished

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Haji Raza Building Demolished: यूपी के फतेहपुर में बाकरगंज स्थित सपा नेता मो. रजा की तीन मंजिला इमारत पर मंगलवार को बुलडोजर चला. बताया जा रहा है कि यह इमारत अवैध थी. इस इमारत में सपा नेता हाजी रफी अहमद भी पार्टनर हैं. उपमंडल मजिस्ट्रेट प्रदीप रमन और सर्कल अधिकारी सुशील कुमार दुबे ने दो बुलडोजरों के साथ विध्वंस का निरीक्षण किया. रमन ने कहा कि विध्वंस का आदेश इसलिए दिया गया क्योंकि निर्माण गलत नक्शे के आधार पर किया गया था.

अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को 10 पुलिस स्टेशनों के कर्मियों की तैनाती के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच यूपी के फतेहपुर के बाकरगंज में विपक्षी समाजवादी पार्टी के नेता हाजी रजा की तीन मंजिला इमारत को ध्वस्त कर दिया.

Haji Raza पर भ्रष्टाचार के आरोप

दो महीने पहले रजा (Haji Raza) और उनके सहयोगियों की संपत्ति की समीक्षा के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया गया था. पूर्व विधायक विक्रम सिंह ने सीएम योगी से रजा के कथित आपराधिक इतिहास और संबंधित आरोपों की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का आग्रह किया था. अधिकारियों का कहना है कि रजा पर भ्रष्टाचार और आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं.

रजा (Haji Raza) जून में तब चर्चा में आए थे जब लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए भाजपा के एक स्थानीय पदाधिकारी ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.

मध्य प्रदेश में भी चला बुलडोजर

पुजारी रामगिरि महाराज की कथित इस्लाम विरोधी टिप्पणियों के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पिछले गुरुवार को मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में कांग्रेस पदाधिकारी शहजाद अली का घर ध्वस्त कर दिया गया था. इसे लेकर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी आवाज उठायी थी.

प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि अगर कोई किसी अपराध का आरोपी है तो उसका अपराध और उसकी सजा सिर्फ अदालत तय कर सकती है. लेकिन आरोप लगते ही आरोपी के परिवार को सजा देना, उनके सिर से छत छीन लेना, कानून का पालन न करना, अदालत की अवहेलना करना, आरोप लगते ही आरोपी का घर ढहा देना- यह न्याय नहीं है. यह बर्बरता और अन्याय की पराकाष्ठा है.

उन्होंने आगे कहा, “कानून बनाने वाले, कानून के रखवाले और कानून तोड़ने वाले में फर्क होना चाहिए. सरकारें अपराधी की तरह व्यवहार नहीं कर सकतीं. कानून, संविधान, लोकतंत्र और मानवता का पालन सभ्य समाज में शासन की न्यूनतम शर्त है. जो राजधर्म नहीं निभा सकता, वह न तो समाज का कल्याण कर सकता है, न ही देश का.”


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