उत्तर प्रदेश (UP) की राजधानी में शिक्षक भर्ती को लेकर अभ्यर्थी पिछले कई महीनों से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. नौकरी के इंतजार में बैठे युवाओं का कहना है कि पिछले 5 सालों से शिक्षक भर्ती नहीं आई है. विरोध प्रदर्शन करने पर अभ्यर्थियों को गिरफ्तार कर लिया जा रहा है और उन्हें प्राइवेट सेक्टर में नौकरी देखने के कहा जा रहा है.
UP में 20 लाख युवा TET पास
UP में हर साल 2 लाख 42 हजार युवा ग्रेजुएशन के बाद डीएलएड में एडमिशन लेते हैं. जिसमें से 10 हजार छात्र सरकारी कॉलेज से ट्रेनिंग लेते हैं और बाकी के 2.32 लाख छात्र प्राइवेट कॉलेजों से ट्रेनिंग कोर्स करते हैं. प्राइवेट कॉलेजों की सालाना फीस 50 से 60 हजार तक है. इतना पैसा खर्च करके कोर्स पूरा करने के बाद ये छात्र सिर्फ बेसिक शिक्षा विभाग में ही सरकारी नौकरी प्राप्त कर सकते हैं.
यही नहीं, डीएलएड का कोर्स पूरा करने के बाद छात्रों को टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी TET पास करना पड़ता है. बता दें कि यूपी में कुल 20 लाख युवा टेट पास हैं. इनमें से 5 लाख बीएड अभ्यर्थी हैं, जो बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी प्राप्त करने के लिए एलिजिबल नहीं है.
क्या शिक्षा मंत्री झूठ बोल रहे?
प्रदेश में इतने अभ्यर्थी टीचर की नौकरी के लिए इंतजार कर रहे हैं, पर राज्य के शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि राज्य में शिक्षक-छात्र अनुपात बराबर है इसलिए पठन-पाठन कार्य में कोई दिक्कत नहीं आ रही है. उन्होंने कल सदन में यह भी साफ कर दिया कि अभी सरकार को नई शिक्षक भर्ती लाने का कोई विचार नहीं है.
दिसंबर 2022 में विपक्ष ने जब संदीप सिंह से सदन में इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा था कि हमारे पास इस वक्त 6 लाख 28 हजार 915 शिक्षक हैं. इसके बाद जब 6 फरवरी, 2024 को जब विपक्ष ने फिर से सवाल उठाया तो उन्होंने अपना पूराना जवाब दोहराते हुए कहा कि हमारे पास अभी 6 लाख 28 हजार 915 शिक्षक हैं. ध्यान देने वाली बात है कि पिछले एक साल में कोई शिक्षक भर्ती नहीं हुई है. अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या एक साल में प्रदेश में कोई शिक्षक रिटायर नहीं हुआ या किसी की मौत नहीं हुई? एक साल बाद भी बिना भर्ती किए शिक्षकों की संख्या कैसे उतनी ही है जितनी पहले थी.
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