Pune Porsche Case: पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस की जांच में सामने आया है कि 17 साल के नाबालिग आरोपी के खून के सैंपल बदलने वाले डॉक्टर ने यह सुविधा और भी कई लोगों को दी है. बता दें कि ससून अस्पताल के फॉरेंसिक मेडिकल विभाग के प्रमुख डॉ. अजय तावड़े फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं, जिनपर आरोपी के खून के नमूने बदलने के आरोप हैं.
क्राइम ब्रांच ने किया खुलासा
पुणे क्राइम ब्रांच की जांच में पचा चला है कि यह पहली बार नहीं है जब डॉ तावड़े ने ऐसा कुछ किया है. जब भी नशे में धुत ड्राइवरों द्वारा लोगों को कुचलने और उन्हें मारने के हाई-प्रोफाइल मामले सामने आते थे, तो पुणे और पश्चिमी महाराष्ट्र के चार अन्य जिलों में फैले डॉक्टर के दलाल परिवारों से संपर्क करते थे और उनके खून के नमूनों को साफ नमूनों से बदलने की पेशकश करते थे.
क्राइम ब्रांच के एक सूत्र ने एनडीटीवी से बताया कि दलाल सेवा के लिए लाखों की मांग करते थे. इस पैसे में अपना हिस्सा लेकर वो बाकी का डॉ. तावड़े को दिया करते थे. सूत्र ने बताया कि ये सब पिछले दो साल से चल रहा था, जब से डॉ. तावड़े को फॉरेंसिक विभाग की जिम्मेदारी मिली थी.
पहले भी लगे हैं गंभीर आरोप
बता दें कि डॉ. तावड़े पर पहले भी ड्रग मामलों और किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं. खबरों की मानें, तो कथित तौर पर एक विधायक और एक मंत्री की सिफारिश पर उन्हें फोरेंसिक विभाग के प्रमुख के पद पर पदोन्नत किया गया था.
पिछले महीने ससून अस्पताल के डीन विनायक काले ने कहा था कि महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ और विधायक सुनील टिंगरे (दोनों एनसीपी के अजीत पवार गुट से हैं) ने एक पत्र लिखा था और डॉ. तावड़े को फॉरेंसिक विभाग का प्रमुख बनाने के लिए कहा था. ऐसा बयान देने के तुरंत बाद ही काले को अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया गया. इसके अलावा विधायक टिंगरे पर पॉर्श दुर्घटना के बाद येरवडा पुलिस स्टेशन का दौरा करने और अधिकारियों पर मामले को आसान बनाने के लिए दबाव डालने का भी आरोप लगा था.
बता दें कि यह दुर्घटना (Pune Porsche Case) 19 मई को हुई थी. जब शराब के नशे में धुत्त एक 17 वर्षीय लड़के ने 24 वर्षीय दो आईटी पेशेवरों को अपनी पोर्श कार से कुचल दिया था. दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी.
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