Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में बीजेपी अपने ही बिछाए जाल में फंसती नजर आ रही है. 19 अप्रैल से लोकसभा चुनाव के साथ ही 13 राज्यों में उपचुनाव भी होने वाले हैं. इनमें हिमाचल प्रदेश की वो 6 सीटें भी हैं, जहां से चुने गए कांग्रेस विधायकों को बागी होने बाद अयोग्य ठहरा दिया गया है. पिछले महीने हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में मतदान करने वाले बागी विधायकों को कांग्रेस ने अयोग्य घोषित कर दिया, जिसके बाद 23 मार्च को बीजेपी ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. साथ ही भाजपा ने उन्हें आगामी विधानसभा उपचुनावों में टिकट देने की भी घोषणा कर दी.
इन बागी विधायकों को बनाया उम्मीदवार
बता दें कि हिमाचल प्रदेश की छह विधानसभा सीटों – धर्मशाला, लाहौल-स्पीति, सुजानपुर, बड़सर, गगरेट और कुटलैहड़ पर 1 जून को मतदान होगा. बीजेपी ने धर्मशाला निर्वाचन क्षेत्र से सुधीर शर्मा को, सुजानपुर से राजिंदर राणा को, लाहौल-स्पीति से रवि ठाकुर और बड़सर से इंदरदत्त लखनपाल को उम्मीदवार बनाया है. ये सारे ही कांग्रेस के बागी विधायक हैं, जिन्हें बीजेपी ने हाल ही में पार्टी में शामिल किया है.
वहीं कुटलैहड़ से बीजेपी ने देवेन्द्र कुमार भुट्टो को और चैतन्य शर्मा को गगरेट से आगामी चुनाव के लिए टिकट देने की घोषणा की है.
भाजपा में हो रही बगावत
विधानसभा उपचुनाव में बागी विधायकों को टिकट देने से भाजपा में बगावत शुरु हो गई है. कांग्रेस के बागी रवि ठाकुर को मैदान में उतारे जाने के विरोध में मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के पूर्व मंत्री तथा लाहौल एवं स्पीति विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के नेता राम लाल मार्कण्डा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ने त्यागपत्र दे दिया. बता दें कि रवि ठाकुर ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मार्कणडा को 1,616 वोटों के अंतर से हराया था.
इसके अलावा राकेश कालिया ने भी बीजेपी से इस्तीफा दे दिया. बीजेपी नेता वीरेंद्र कंवर ने भी पार्टी द्वारा कांग्रेस के बागी देविंदर कुमार भुट्टो को कुटलैहड़ से टिकट दिये जाने पर नाराजगी जताई है. साथ ही उन्होंने इस फैसले की समीक्षा किए जाने की भी मांग की है.
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