Farmers Suicide: तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी मंगलवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे. जहां पीएम मोदी ने विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने किसानों को पीएम किसान योजना की 17वीं किस्त सौंपी. जिसका बीजेपी ने जमकर प्रचार प्रसार किया. बीजेपी ने इस कार्यक्रम के माध्यम से यह सन्देश देने का प्रयास किया कि किसानों के लिए मोदी सरकार से बड़ा कोई हितैसी ही नहीं है. हालांकि मोदी सरकार के बीते दो कार्यकाल पर नजर डालें तो किसानों के लिए नरेन्द्र मोदी ने क्या कुछ किया है, यह किसी से छुपा नहीं है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ें खुद इस बात के गवाह हैं कि मोदी सरकार में खेती-किसानी से जुड़े लोगों की आत्महत्या के मामले बढ़े हैं. 4 दिसंबर, 2023 को जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में देश भर से लगभग 11,290 ऐसे आत्महत्या के मामले सामने आए हैं. इसका मतलब इस साल देश में हर घंटे कम से कम एक किसान ने आत्महत्या की है. यह 2021 के मुकाबले किसानों की आत्महत्या में 3.7 प्रतिशत की वृद्धि है. इससे पहले साल 2021 में 10,281 मौतें दर्ज की गई थीं. वहीं, 2020 के आंकड़ों की तुलना में साल 2022 में 5.7 प्रतिशत अधिक किसानों ने आत्महत्या की है.
आर्थिक तंगी बनी आत्महत्या की वजह
डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार में किसानों के आर्थिक हालात दिन प्रति दिन खराब हुए. बढ़ती महंगाई के साथ किसानों की आय कम हुई. जिससे उनपर कर्ज का बोझ बढ़ा और कई किसानों ने अपनी जीवनलीला खत्म करने का विकल्प चुना.
28 फरवरी, 2016 को, केंद्रीय बजट की पूर्व संध्या पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक ‘किसानों की आय दोगुनी करने’ का वादा किया था. तब पीएम मोदी ने कहा था कि भारत आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है. ऐसे में किसानों की आय दोगुना करना हमारा लक्ष्य है. लेकिन ऊपर दिए आंकड़ें इस बात के गवाह हैं कि मोदी सरकार में कितने किसानों की आय दोगुनी हुई और किसान कितना खुशहाल हुआ.
किसान आंदोलन में अन्नदाताओं के साथ क्या हुआ
किसान आंदोलन का वो दौर कौन भूल सकता है, जब किसान अपनी जायज मांगों को लेकर कड़कड़ाती ठंड में सड़कों पर बैठे थे. तब किसानों की आय दोगुना करने का वादा करने वाली मोदी सरकार ने सैकड़ों किसानों को रौंदने का काम किया. किसान आंदोलन 2.0 के वक्त तो मोदी सरकार ने किसानों के रास्ते में कीलें बिछा दी थीं. तब किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक दिल्ली आना चाहते थे. लेकिन उनपर आंसू गैस के गोले बरसाए गए. उनके साथ आतंकियों जैसा सलूक किया गया.