Rahul Gandhi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे. कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को इस बात का एलान किया. इंडिया गठबंधन की मीटिंग में राहुल गांधी के बतौर विपक्ष का नेता बनने पर औपचारिक मुहर लगी. कांग्रेस सांसद ने नेता प्रतिपक्ष का पद ले लिया है और बुधवार को उन्होंने लोकसभा में अपनी बात भी रखी.
राहुल गांधी अपने 20 साल के राजनीतिक करियर में पहली बार कोई संवैधानिक पद संभालेंगे. राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी और मां सोनिया के बाद इस पद पर रहने वाले गांधी परिवार के तीसरे सदस्य हैं. इससे पहले पूर्व PM राजीव गांधी 1989-90 और मां सोनिया 1999 से 2004 तक इस पद पर रह चुकी हैं.
राहुल गांधी ने बतौर नेता प्रतिपक्ष बुधवार को सदन में अपनी बात रखी. ओम बिरला के फिर से लोकसभा स्पीकर बनने पर बधाई देते हुए राहुल गांधी ने कहा सरकार के पास राजनीतिक शक्ति है लेकिन विपक्ष भी भारत के लोगों की आवाज़ का प्रतिनिधित्व कर रहा है. इस बार विपक्ष भारत के लोगों की आवाज़ का प्रतिनिधित्व ज़्यादा दमदार तरीक़े से कर रहा है.
10 साल बाद मिला है नेता प्रतिपक्ष
गौरतलब है कि बीते 10 साल से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली था. 2014 और 2019 में किसी विपक्षी दल के पास इसके लिए जरूरी न्यूनतम 10% सदस्य नहीं थे. मालूम हो कि नेता प्रतिपक्ष पद के लिए दावा पेश करने के लिए किसी भी पार्टी को कुल 543 में से 55 सदस्यों का आंकड़ा पार करना होता है. लेकिन पिछले दो चुनावों में कांग्रेस के पास संसद का 10 फ़ीसदी सीट शेयर (54 सीट) भी नहीं रहा था. यही वजह है कि कांग्रेस सदन में विपक्ष के नेता के तौर पर अपनी दावेदारी पेश ही नहीं कर पाई थी. बता दें कि 2014 में कांग्रेस के पास 44 सीटें थीं और 2019 में 52 सीटें थीं. इस बार कांग्रेस के पास 99 सीटें हैं.
नेता प्रतिपक्ष का पद कितना महत्वपूर्ण
नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी को कई शक्तियां और अधिकार मिल गए हैं. वे प्रधानमंत्री के साथ चीफ इलेक्शन कमिश्नर सहित चुनाव आयोग के दो अन्य सदस्यों की नियुक्ति का चयन करने वाले प्रमुख पैनल का हिस्सा होंगे.
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