Tripura Violence: कांग्रेस नेता डॉ. अजय कुमार ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस की. जिसमें उन्होंने त्रिपुरा हिंसा को लेकर भाजपा पर हमला बोलते हुए दावा किया कि पंचायत चुनावों से पहले वहां “राज्य प्रायोजित आतंकवाद” हो रहा है. उनका कहा है कि त्रिपुरा में आम लोग चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन बीजेपी ने ठान लिया है कि उनके खिलाफ जो भी नॉमिनेशन भरेगा उसे मारेंगे. इसके अलावा अजय कुमार ने मणिपुर को लेकर भी मोदी सरकार की चुप्पी पर निशाना साधा.
Tripura Violence सरकार द्वारा प्रायोजित हिंसा
डॉ. अजय कुमार ने कहा, ‘त्रिपुरा का जो साइड हो, वह दिल्ली के एक लोकसभा के सीट के बराबर है. उस छोटे से क्षेत्र में 2 लोकसभा सीटें हैं. लेकिन उस छोटे से राज्य में जिस तरफ राजनीतिक हिंसाएं हो रही हैं. वहीं जम्मू-कश्मीर में दिखने को मिल रहा है. आज हमारे देश के 4 जवान शहीद हो गए. मानों त्रिपुरा में राज्य प्रायोजित आतंकवाद हो रहा है. यह त्रिपुरा (Tripura Violence) में हो रही हिंसा सरकार द्वारा प्रायोजित हिंसा हैं. इस देश में पहले भी राज्यों में छोटी-छोटी घटनाएं हुई हैं. लेकिन अगर सरकार हिंसा में शामिल हो रही है अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को मारने में, तो इतने बड़े पैमाने में हिंसा कभी नहीं देखा. भारत जलाओ पार्टी-भारत जहरीली पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) देश को उस राह पर लेकर जा रही है. जहां से वापस आना बहुत ही मुश्किल है.’ कांग्रेस नेता अजॉय कुमार ने भाजपा कार्यकर्ताओं को “जन्मजात दंगाई” करार दिया. उन्होंने कहा, ‘उनकी पार्टी के कार्यकर्ता त्रिपुरा में लगातार अन्यायपूर्ण और हिंसक स्थितियों का सामना कर रहे हैं. त्रिपुरा (Tripura Violence) में मौजूदा भाजपा सरकार के तहत, कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जीवन, केवल उनके राजनीतिक जुड़ाव के कारण लक्षित हिंसा और धमकी के खिलाफ दैनिक संघर्ष में गुजरता है. राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक रूप से खराब हो गई है, तथा सत्तारूढ़ पार्टी ने इन अत्याचारों के प्रति आंखें मूंद ली हैं.”
कांग्रेस को सहना पड़ा अत्याचार
उन्होंने कहा, हालिया लोकसभा चुनावों के दौरान हिंसा (Tripura Violence) और चुनावी उल्लंघन की 1,000 से अधिक घटनाएं सामने आईं, जो त्रिपुरा में बिगड़ते लोकतांत्रिक मानदंडों की गंभीर तस्वीर पेश करती हैं. कांग्रेस कार्यकर्ताओं की दुर्दशा अनियंत्रित आक्रामकता और दंड से मुक्ति से भरे माहौल में राजनीतिक असंतुष्टों के सामने अपने लोकतांत्रिक अधिकारों को बनाए रखने में आने वाली चुनौतियों की मार्मिक याद दिलाती है. 2023 के त्रिपुरा विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में हिंसा की कठोर वास्तविकता सामने आई है’ उन्होंने दावा किया, “कांग्रेस और हमारे गठबंधन सहयोगियों के कार्यकर्ताओं को अकल्पनीय अत्याचार सहना पड़ा. राज्य और एआईसीसी नेतृत्व दोनों को लक्षित हिंसा और हमलों का सामना करना पड़ा.’
त्रिपुरा में लोकतंत्र को खतरा
अजय अजय ने कहा, ये निंदनीय कृत्य लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों के दुखद क्षरण को रेखांकित करते हैं, जहां असहमति का जवाब आक्रामकता और दमन से दिया जाता है. सत्तारूढ़ प्रतिष्ठान द्वारा बल और धमकी के व्यापक प्रयोग से न केवल चुनावी प्रक्रिया कमजोर होती है, बल्कि त्रिपुरा में निष्पक्ष और स्वतंत्र लोकतंत्र की नींव को भी खतरा होता है. भाजपा का पिछला रिकॉर्ड सांप्रदायिक हिंसा (Tripura Violence) की घटनाओं से भरा पड़ा है, दुर्भाग्यवश वे इसी रणनीति के लिए जाने जाते हैं. इसका ज्वलंत उदाहरण मणिपुर है, जहां ऐतिहासिक रूप से मैतेई और कुकी पीढ़ियों से भाईचारे के साथ रहते आए हैं. हालांकि, पिछले एक साल में मणिपुर मतभेद और अशांति की आग में जल रहा है.”
विपक्ष की आवाज दबाने का काम कर रही भाजपा
कांग्रेस नेता ने त्रिपुरा हिंसा (Tripura Violence) को लेकर आगे कहा, “इसी तरह, त्रिपुरा भी मणिपुर जैसी ही उथल-पुथल की राह पर आगे बढ़ता दिख रहा है. इन क्षेत्रों में बढ़ते तनाव और सांप्रदायिक संघर्ष भाजपा शासन में बढ़ी चिंताजनक प्रवृत्ति को रेखांकित करते हैं. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि त्रिपुरा में पंचायत चुनावों के दौरान घटित हालिया घटनाओं ने लोकतांत्रिक क्षरण और हिंसा की व्यथित करने वाली कहानी सामने ला दी है. भाजपा से जुड़े संगठनों के खिलाफ लगाए गए आरोप विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए एक सुनियोजित अभियान का संकेत देते हैं, जिसमें कांग्रेस उम्मीदवारों पर शारीरिक हमले से लेकर पार्टी कार्यालयों और निजी आवासों को नष्ट करने जैसी धमकी देने की रणनीति अपनाई गई है.’
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