Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही जनता का जनादेश सामने आ गया. 19 अप्रैल 2024 से देश में लोकतंतत्र का जो महापर्व शुरू हुआ, उसमें जनता ने बता दिया कि लोकतंत्र में उससे ऊपर न कोई कभी हुआ है और न ही कभी कोई होगा. नतीजों की बात करें तो बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. भगवा दल को 240 सीटें मिलीं. जिस भगवा दल ने पीएम मोदी के नाम पर 400 पार का नारा दिया उसे बहुमत भी नहीं मिला.
वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन ने भी अंत तक लड़ाई लड़ी और अपनी ताकत का एहसास कराया, लेकिन इन सबके बीच देश की सबसे पुरानी या कहें ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस एक बार दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. इतना ही नहीं पिछले 10 सालों में कांग्रेस जिन राज्यों में शुन्य थी, वहां पार्टी ने दमदार पदर्शन किया है.कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस को इन चुनावों में संजीवनी मिली है. वो अपने सहयोगी दलों के साथ मजबूत बनकर उभरी और उलटफेर या कहें की चमत्कार कर दिया.
कांग्रेस ने विपक्षी दलों को किया लामबंद
कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतीं. पार्टी ने अपने इस प्रदर्शन से एक बार फिर साबित कर दिया कि वो न केवल नतीजों में उलटफेर करने का दम रखती है बल्कि क्षेत्रीय दलों के बीच भी उसकी स्वीकार्यता है. कांग्रेस ने इस बार विपक्षी दलों को लामबंद करके बीजेपी से लड़ने की रणनीति बनाई. पार्टी ने खुद को सीमित किया और क्षेत्रीय दलों को ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया. इंडिया गठबंधन ने बीजेपी के सामने एक-एक सीट पर उम्मीदवार देने की कोशिश की, जहां पार्टी अकेले लड़ सकती थी, वहां अकेले लड़ी और जहां उसे सीटों के बटवारे में फायदा नजर आया वहां सीटें भी बाटी. पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल में विपक्षी गठबंधन की एकदम अलग रणनीति देखी गई.
साथ ही चुनावी रणनााति से पहले राहुल गांधी की ओर से भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा भी निकाली गई, जिससे जनता में संदेश देने की कोशिश की गई की पार्टी ग्राउंड कनेक्शन बनाने में विश्वास रखती है. कांग्रेस की ये सारी रणनीति सफल साबित हुई और भगवा दल को बहुमत नहीं मिला. बता दें आम चुनावों से ठीक पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मिली हार से पार्टी ने सबक सीखा और राज्यों में सीट शेयरिंग अच्छे से की.
कांग्रेस ने विपक्षी दलों के लिए भी बहाया पसीना
कांग्रेस इस बार चुनाव में सबसे कम 327 सीटों पर चुनाव में उतरी.यह पहली बार था,जब सबसे पुरानी पार्टी 400 से कम सीटों पर आम चुनाव में लड़ी. कांग्रेस ने अन्य सीटों पर विपक्षी दलों का समर्थन किया. उनके उम्मीदवारों को जिताने के लिए जनसभाएं कीं. चार जून को जो परिणाम आया उसको अगर गणित के हिसाब से देखा जाए तो पार्टी के हार हुई, लेकिन ये नतीजे चेहरों पर खुशी दे गए.