हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट की चर्चा जोरों पर है. बीजेपी ने यहां भी सत्ता हथियाने के लिए षड्यंत्र रच दिया था. लेकिन कांग्रेस ने जिस तरीके से हिमाचल में ऑपरेशन लोटस फेल कर दिया. वह कांग्रेस के नये रूप और नई रणनीति की शुरुआत है. कांग्रेस पार्टी की सूझबूझ से न केवल हिमाचल की सरकार पर आया संकट टल गया, बल्कि बीजेपी के सारे षड्यंत्र भी धरे के धरे रह गये.
कांग्रेस की इस आक्रामकता से जहां कार्यकर्ताओं में पार्टी और नेतृत्व के प्रति आत्मविश्वास बढ़ा है, वहीं बीजेपी की चाल विफल होने से अमित शाह की खासी किरकिरी भी हुई है. हिमाचल में राजनीतिक संकट की स्थिति अचानक नहीं आई. इसके लिए बीजेपी महीनों से साजिश रच रही रही लेकिन महज कुछ घंटों में कांग्रेस ने ऑपरेशन लोटस को फेल कर दिया.
आईये पूरे मामले को समझते हैं. पूरे मामले को समझने के लिए समझना होगा कि हिमाचल में क्या हुआ ?
सियासी ड्रामा राज्यसभा चुनाव के दौरान शुरू हुआ, जब कांग्रेस के 6 विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाल दिया. मीडिया चैनलों पर ऑपरेशन लोटस के तारीफ में कसीदे पढ़े जाने लगे. कहा जाने लगा कि बीजेपी ने हिमाचल में भी खेल कर दिया . लेकिन कांग्रेस का असल गेम इसके बाद शुरू हुआ.
कांग्रेस ने कैसे मुकाबला किया?
कांग्रेस को जैसे ही बीजेपी के साजिशों के बारे में पता चला , पार्टी की प्रदेश इकाई से लेकर केन्द्रीय नेतृत्व और कांग्रेस अध्यक्ष तक सक्रिय हुआ व कांग्रेस के रणनीतिकारों ने तत्काल मोर्चा संभाला. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को तत्काल पर्यवेक्षक बनाकर हिमाचल प्रदेश भेजा. कांग्रेस के प्रभारी महासचिव राजीव शुक्ला और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संगठन के लोगों बातचीत करने की ज़िम्मेदारी दी गई.
राहुल गांधी ने की गोपनीय बैठक
कांग्रेस की सक्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विधायकों की क्रॉस वोटिंग की खबर लगते ही प्रियंका गांधी जी ने एक एक विधायक से व्यक्तिगत तौर पर बात किया. राहुल गांधी ने देर रात हिमाचल के संगठन पदाधिकारियों के साथ गोपनीय बैठक की और सभी की बातों को सुनने के बाद स्थिति को समझा और समाधान के रास्ते सुझाए.
मल्लिकार्जुन खरगे का अनुभव आया काम
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दिल्ली बैठकर पूरे घटनाक्रम पर नजर बनायी रखी और अपडेट लेने के साथ-साथ जरूरी सुझाव भी देते रहे. उनकी आक्रामकता और अनुभव दोनों बहुत जरूरी थे. कर्नाटक और हरियाणा से शिमला पहुंचे डीके शिवकुमार और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने नाराज विधायकों के साथ वन-टू-वन बैठक की और स्थति पर पूरी तरह से काबू पा लिया.
विक्रमादित्य ने वापस लिया अपना इस्तीफा
शाम होते होते बीजेपी खेमा मायूस होने लगा क्योंकि उन्हें तब तक एहसास हो चुका था कि यहां षड्यंत्र फेल हो चुका है. बुधवार की सुबह जहां कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्या ने इस्तीफा दे दिया था, शाम होते होते उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया. ऐसे में बीजेपी के महीनों के षड्यंत्र को कांग्रेस के रणनीतिकारों ने 24 घंटे में ही विफल कर दिया.
BJP की सारे साजिशें हुईं फेल
हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है जब भाजपा के तथाकथित चाणक्य को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी हो. इससे पहले भी कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी सूझबूझ से भाजपा के साजिशों को फेल किया है. अभी पिछले सप्ताह मध्यप्रदेश कांग्रेस के असंतोष को ख़त्म कर अपने नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन किया था, वहीं अब हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बचाकर एक बार फिर बीजेपी को बता दिया है कि वो कांग्रेस को हल्के में लेने की भूल नहीं करे.
कांग्रेस की इस सक्रियता और कुशल रणनीति की आज पूरे देश में प्रशंसा हो रही है. इन घटनाओं से जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा है, वहीं समर्थकों का कांग्रेस नेतृत्व के प्रति विश्वास भी और मजबूत हुआ है.