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Agniveer Suicide: बुधवार को हिमाचल प्रदेश के अग्निवीर निखिल डडवाल ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली. शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में सैन्य सम्मान के साथ अग्निवार निखिल का अंतिम संस्कार किया गया. उन्हें उनके बड़े बाई अखिल ने मुखाग्नि दी. अग्निवीर के पिता ने बताया कि अंतिम बार निखिल से उनकी बात मंगलवार की रात लगभग 9 बजे हुई थी. उन्होंने बताया कि दोनों के बीच काफी देर तक बात हुई. निखिल ने फोन पर बताया था कि वह रक्षाबंधन पर 15 दिनों के लिए घर आएगा.

2 साल पहले हुई थी तैनाती

23 वर्षीय अग्निवीर निखिल डडवाल की बुधवार शाम अखनूर के टांडा में मौत हो गई थी. निखिल के परिवार को बताया कि जवान ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी की है. हालांकि निखिल के पिता का कहना है उनका बेटा खुद को गोली नहीं मार सकता. बता दें कि निखिल की पौने दो साल पहले अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुई थी. उनकी पहली तैनाती बीकानेर में हुई थी. करीब 3 महीने पहले ही निखिल अखनूर में तैनात हुए थे.

अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

अग्निवीर शहीद निखिल डडवाल के पार्थिव शरीर को जम्मू-कश्मीर के अखनूर से एंबुलेंस में हमीरपुर लाया गया. सेना के वाहन में पार्थिव शरीर पैतृक गांव लाहलड़ी तक लाया गया. अग्निवीर का पार्थिव शरीर जैसे ही घर पहुंचा, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई. निखिल के अंतिम यात्रा में लोगों का जनसैलाब उमड़ा था. अग्निवीर के अंतिम दर्शन के लिए लोग घरों की छत पर खड़े हुए थे. DC अमरजीत सिंह और एसपी भगत सिंह ठाकुर भी अग्निवीर निखिल के घर पहुंचे. सैन्य अधिकारियों ने अग्निवीर के परिवार से बात की.

सीएम सुक्खू ने जताया दुख

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने अग्निवीर निखिल की मौत कर दुख जताया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर उन्होंने कहा, “जम्मू के अखनूर क्षेत्र में तैनात हमीरपुर निवासी अग्निवीर निखिल की असामयिक मृत्यु की सूचना बेहद दुःखद है. श्वर निखिल को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें.”

1 साल में तीसरी घटना (Agniveer Suicide)

यह पहली बार नहीं है जब किसी अग्निवीर के खुदकुशी का मामला सामने आया है. इसके पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है. इसी महीने की शुरुआत में आगरा के एयरफोर्स कैंपस में अग्निवीर श्रीकांत चौधरी ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. इस आत्महत्या की वजह भी स्पष्ट नहीं थी. बलिया के थाना रेवती के गांव नारायणपुर के रहने वाले 22 वर्षीय श्रीकांत चौधरी पुत्र मंजी चौधरी डेढ़ वर्ष पूर्व अग्निवीर के रूप में भर्ती हुए थे. घटना के वक्त वो आगरा वायुसेना परिसर में तैनात थे. 2 जुलाई की रात करीब डेढ़ बजे श्रीकांत ने परिसर में ड्यूटी के दौरान अपनी राइफल से खुद को गोली मार ली थी.

वहीं पिछले साल 11 अक्तूबर को जम्मू-कश्मीर के पूंछ में सेना में तैनात अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली. अग्निवीर अमृतपाल सिंह के शव को निजी एम्बुलेंस में उनके गांव भेज दिया गया और अंतिम संस्कार से पहले सेना की ओर से उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी नहीं दिया गया. इसे लेकर काफी विवाद हुआ था. हालांकि सेना ने कह दिया कि अमृतपाल की मौत उन्हीं की चलाई गोली से हुई है, ऐसे में उन्हें सेना के नियमों के तहत सैन्य सम्मान नहीं दिया जा सकता.

इस घटना के एक महीने बाद नवंबर में ही भारतीय नौसेना के लिए अग्नीवीर की ट्रेनिंग ले रही 20 वर्षीय अपर्णा नायर ने मुंबई में सुसाइड कर लिया था.

कांग्रेस कर रही योजना का विरोध

गौरतलब है कि अग्निवीरों (Agniveer) के बलिदान का आंकड़ा हर दिन बढ़ता जा रहा है. पिछले एक साल में 15 अग्निवीर शहीद हो चुके हैं, जिनमें 9 से ज्यादा आत्महत्या और संदिग्ध हालात में मौत के मामले हैं. कांग्रेस पार्टी लगातार इस योजना के विरोध कर रही है और इसे बंद करने की मांग कर रही है. हालांकि मोदी सरकार ने अभी तक अग्निवीरों के बलिदान पर चुप्पी नहीं तोड़ी है.

कांग्रेस पार्टी के पूर्व सैनिक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल रोहित चौधरी ने इन घटनाओं (Agniveer Suicide) को लेकर मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा, “पहला सवाल यह है कि सेना में अग्निवीर जवान लगातार सुसाइड क्यों कर रहे हैं? क्या अग्निवीरों को पर्याप्त ट्रेनिंग मिल पा रही है? क्या छह महीने का प्रशिक्षित अग्निवीर सेना में काम करने के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से सक्षम है? पिछले एक साल में कितने ‘सामान्य’ सैनिकों ने सुसाइड किया है. इसी दौरान कितने अग्निवीरों ने सुसाइड किया है? सरकार संसद में श्वेत पत्र लेकर आए कि अग्निवीर सैनिक व रेगुलर सैनिक में भेदभाव क्यों है.”


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