Akhilesh Yadav

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Akhilesh Yadav on Teacher’s Protest: सोमवार को मुरादाबाद मंडल के अलग-अलग जिलों में संकुल शिक्षकों ने भारी संख्या में इस्तीफा दिया. रायपुर में सबसे ज्यादा 284 शिक्षकों ने त्यागपत्र दिया. वहीं मुरादाबाद में 83, अमरोहा में 150 से अधिक और संभल में 102 शिक्षकों ने अपने त्यागपत्र शिक्षक संघ को सौंपे. इसके अलावा शिक्षकों ने मंडलभर में कलेक्ट्रेट से लेकर बीएसए कार्यालय तक प्रदर्शन भी किया. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस पूरे मामले को लेकर भाजपा सरकार को निशाने पर लिया.

अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार को घेरा

सोशल मीडिया पर शिक्षकों के विरोध प्रदर्शन का वीडियो शेयर कर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा कि शिक्षकों और बच्चों के अभिभावकों को जितनी जल्दी ये बात समझ आ जाएगी कि भाजपा सरकार शिक्षक और शिक्षा के ख़िलाफ है और भाजपा की वजह से परिवारवालों के बच्चों का भविष्य अंधकारमय है, उतनी ही जल्दी परिवर्तन के लिए जमीन बननी तैयार हो जाएगी.

भाजपा की सरकार एक हृदयहीन सरकार है- अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)

अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट कर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा कि भाजपा शिक्षकों और कर्मचारियों को विरोध का एक ऐसा आंदोलन शुरू करने के लिए बाध्य न करे जिससे हर क्षेत्र में ठहराव आ जाए. भाजपा अपनी हार का तो विश्लेषण करती है लेकिन शिक्षक और कर्मचारियों की समस्याओं के प्रति हमेशा बेरुख़ी का नजरिया अपनाती है. उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार एक हृदयहीन सरकार है. साथ ही कहा कि जिसमें संवेदना न हो वो सरकार नहीं चाहिए.

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि बेसिक स्कूलों में योगी सरकार ने 8 जुलाई से ऑनलाइन उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया है. योगी सरकार के इस फैसले के बाद से पूरे प्रदेश भर में शिक्षकों का विरोध चल रहा है. अब तक कुल 284 शिक्षक त्यागपत्र दे चुके हैं. बुधवार को सभी शिक्षकों के त्यागपत्र जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने प्रस्तुत कर दिए जाएंगे.

दूसरी तरफ संयुक्त मोर्चा के संयोजनक मण्डल के सदस्यों ने ऐलान किया है कि विभाग ने अगर ऑनलाइन उपस्थिति के आदेश वापस नहीं लिए तो आने वाले 29 जुलाई को प्रदेश भर के शिक्षक, शिक्षा मित्र और अनुदेशक लखनऊ पहुंच कर स्कूल शिक्षा महानिदेशक कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन करेंगे.

सोमवार को देर शाम संयुक्त मोर्चा के सभी पदाधिकारियों ने बयान जारी कर कहा कि डिजिटल उपस्थिति के विरोध में जौनपुर, बरेली, औरैया, झांसी, फिरोजाबाद, गोण्डा, बलरामपुर, बाराबंकी, इटावा, प्रतापगढ़, हाथरस, ललितपुर, फर्रुखाबाद, पीलीभीत, कुशीनगर, चित्रकूट, कन्नौज और रामपुर सहित कई अन्य जिलों में शिक्षकों ने पैदल मार्च निकालकर नारेबाजी की और विरोध प्रदर्शन किया.

पहले भी पूर्व सीएम ने किया था विरोध

इसके पहले भी अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) योगी सरकार के इस फैसले का विरोध कर चुके हैं. पूर्व सीएम ने कहा था कि कोई शिक्षक देर से स्कूल नहीं पहुँचना चाहता है लेकिन कहीं सार्वजनिक परिवहन देर से चलना इसका कारण बनता है, कहीं रेल का बंद फाटक और कहीं घर से स्कूल के बीच की पचासों किमी की दूरी क्योंकि शिक्षकों के पास स्कूल के पास रहने के लिए न तो सरकारी आवास होते हैं, न दूरस्थ इलाकों में किराये पर घर उपलब्ध होते हैं. इससे अनावश्यक तनाव जन्म लेता है और मानसिक रूप से उलझा अध्यापक कभी जल्दबाज़ी में दुर्घटनाग्रस्त भी हो सकता है, जिसके अनेक उदाहरण मिलते हैं.

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात ये है कि इससे शिक्षकों को भावनात्मक ठेस पहुँचती है, जिससे उनके शिक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. बोधपरक शिक्षण के लिए शिक्षकों का भावात्मक रूप से जुड़ना आवश्यक होता है. स्कूल में केवल निश्चित घंटे बिताना ही शिक्षण नहीं हो सकता. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा था कि हम इस मुद्दे पर शिक्षकों के साथ हैं.


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