चुनावी बॉन्ड से BJP को मिले करोड़ो रुपए, बदले में मोदी सरकार ने क्या बेचा?

चुनावी बॉन्ड से BJP को मिले करोड़ो रुपए, बदले में मोदी सरकार ने क्या बेचा?

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Electoral Bonds: गुरुवार (15 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया और इसपर तुरंत रोक लगा दिया. साथ ही एसबीआई को 6 मार्च तक अब तक सभी पार्टियों को अब तक मिले चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को सौंपने का आदेश दिया और कहा कि चुनाव आयोग 13 मार्च तक यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर साझा करे. जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बीजेपी को झटका लगा है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले का स्वागत किया है.

कांग्रेस ने किया फैसले का स्वागत

कांग्रेस के मीडिया एवं पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कांग्रेस पार्टी ने शुरु से इस चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि हमारी आपत्तियां थीं-

  • यह प्रक्रिया अपारदर्शी है.
  • भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा.
  • काला धन सफेद हो जाएगा.
  • सारा लाभ सत्ता पक्ष को मिलेगा.
  • इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और सत्ता पक्ष के बीच एक अनकहा-अनदेखा रिश्ता स्थापित हो जाएगा.

बीजेपी को मिला 95% दान

पवन खेड़ा ने आगे सवाल किया कि BJP को ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ के 95 प्रतिशत यानी 5200 करोड़ रुपए मिले हैं, उसके बदले BJP ने क्या बेचा है? एयरपोर्ट, कोयले की खदानें बेचे या एमएलए खरीदे, नए सूट खरीदे या नए हवाई जहाज खरीदे? कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करती है और मांग करती है कि SBI तमाम जानकारी को सार्वजनिक पटल पर रखे, जिससे जनता को मालूम पड़े कि किसने कितना पैसा दिया.

‘मनी बिल के तौर पर लाई स्कीम’

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह स्कीम मोदी सरकार ‘मनी बिल’ के तौर पर लाई थी, ताकि राज्यसभा में इसपर चर्चा न हो, यह सीधा पारित हो जाए. आज भी हमें डर है कि कहीं फिर से कोई अध्यादेश जारी न हो जाए और मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बच जाए.

‘यह स्कीम भ्रष्टाचार का मामला’

पवन खेड़ा ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें सीधे-सीधे प्रधानमंत्री शामिल हैं. देश पर इलेक्टोरल बॉन्ड को थोपा गया. जबकि चुनाव आयोग, वित्त मंत्रालय और लॉ मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने विरोध किया था. उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री और उनका भ्रष्टाचार बेनकाब हो गया है. प्रधानमंत्री ने मनी बिल लाकर इसे कानूनी जामा पहनाया था, ताकि विधायक खरीदे जा सकें, अपने मित्रों को कोयले की खदान, हवाई अड्डे दिए जा सकें.

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