Kanwar Yatra Dispute

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Kanwar Yatra Dispute: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के एक फैसले ने राजनीति गलियारों में भूचाल ला दिया है. सरकार का फैसला कुछ यूं उल्टा पड़ा है कि बीजेपी के सहयोगी दल ही इसका विरोध कर रहे हैं. योगी के फैसले पर उनके खुद के सहयोगी दलों ने भी मोर्चा खोल लिया है.

दरअसल, सीएम योगी ने हाल में आदेश जारी किया था कि यूपी में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra Dispute) के रूट पर आने वाली सभी रेस्तरां, होटल, ढाबा, फल समेत खानपान की सभी दुकानों पर मालिक के नाम का बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा. इसी कड़ी में कावड़ यात्रा के रूट में आने वालों दुकानदारों ने अपना नेम प्लेट अपनी दुकानों पर लगा रखा है लेकिन इसके बाद भी विवाद की खबरें आ रहीं हैं.

कांवड़ यात्रा विवाद (Kanwar Yatra Dispute)

दरअसल, मुजफ्फरनगर के एक ढाबे पर कांवड़ियां ने खाने में प्याज डालने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया. गुस्साए कांवड़ियों ने तोड़फोड़ कर दी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार घटना शुक्रवार की है, जब हरिद्वार से कुछ कांवड़िए गंगाजल लेकर लौट रहे थे. वे मुजफ्फरनगर में एक ढाबे पर कुछ खाने के रुके. जहां कांवड़िए का आरोप था कि कारीगर खाने में प्याज का छोंक लगा रहा था. इसे देख कावड़िये आगबबूला हो गए.

मामला इस कदर बिगड़ा कि कावड़ियों ने तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया. पुलिस ने कांवड़ियों (Kanwar Yatra Dispute) को समझाकर शांत किया और ढाबे को बंद करा दिया है.मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कावड़ियों ने जिस ढाबे पर हंगामा काटा, वह प्रमोद कुमार नाम के व्यक्ति का था. जिसने अपने ढाबे पर बकायदे नेम प्लेट लगा रखा था.

आरोप है कि होटल कर्मचारी ने कांवड़ियों के मना करने के बावजूद भी खाने में प्याज डाल दी. खाना देखकर कांवड़िया नाराज हो गए. उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया. इस दौरान होटल की कुर्सी, फर्नीचर व फ्रीज आदि सामान तोड़ दिया गया.

आदेश का असर दिखना शुरु (Kanwar Yatra Dispute)

योगी सरकार ने जब से कावड़ यात्रा (Kanwar Yatra Dispute) के रूट में आने वालों दुकानदारों से नेम प्लेट लगाने को कहा है, इसका असर दिखना शुरू हो गया है. दरअसल, दिल्ली-देहरादून नेशनल हाइवे-58 पर काफी कुछ बदल गया है. वर्षों से चल रहे ढाबों का नाम अचानक बदल गया है. इसके साथ ही इस ढाबों पर काम करने वाले मुस्लिम वर्कर्स को नौकरी से निकाला जाने लगा है. रिपोर्ट के अनुसार, इस हाइवे पर ‘सलीम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय’ 25 साल से चल रहा था लेकिन यूपी सरकार के आदेश के बाद इसका नाम बदलकर ‘सलीम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय’ कर दिया गया है. इसके साथ ही उन्हें चार मुस्लिम वर्कर्स को हटाना पड़ा है.

क्या है पूरा मामला? (Kanwar Yatra Dispute)

गौरतलब है कि यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra Dispute) के रूट में पड़ने वाले सभी दुकानदारों, ढाबों और रेहड़ी-पटनरी वालों को आदेश दिया है कि वो अपने दुकान के आगे अपने नाम की तख्ती लटका लें. योगी सरकार के इस फैसले के बाद विपक्ष के साथ एनडीए के सहयोगी नेता भी नाराज हैं. हालांकि योगी सरकार अपने फैसले पर कायम है.

एनडीए के सहयोगी कर रहे विरोध (Kanwar Yatra Dispute)

योगी सरकार के इस फैसले का विरोध एनडीए के सहयोगी दल भी कर रहे हैं. पहले जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी के यूपी प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने फैसले को गैर संवैधानिक बताते हुआ कहा कि ये फैसला जाति और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला है. इसके साथ ही उन्होंने प्रशासन से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है. वहीं, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी फैसले पर एक बार फिर से समीक्षा करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी आदेश जारी नहीं किया जाना चाहिए, जिससे समाज में सांप्रदायिक विभाजन पैदा हो.

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