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Kanwar Yatra Nameplate Controversy: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट पर खाने-पीने की दुकानों के बाहर नेम प्लट लगाए जाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. सोमवार (22 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में नेम प्लेट विवाद पर सुनवाई होगी. एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम की एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर योगी सरकार के इस फैसले को रद्द करने की मांग की है.
22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ इस विवादित मामले पर सुनवाई करेगी. माना जा रहा है सुप्रीम कोर्ट मामले को लेकर कोई बड़ा फैसला सुना सकती है. बता दें कि योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाले भोजनालयों, ढाबों, फलों और चाय की दुकानों के मालिकों को अपना नाम प्रदर्शित करने के लिए आदेश दिया है.
छूआछूत को बढ़ावा दे रही योगी सरकार- ओवैसी (Kanwar Yatra Nameplate)
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने योगी सरकार के इस फैसले को लेकर उनपर निशाना साधा है. ओवैसी ने कहा कि अगर कोई सरकार संविधान के खिलाफ कोई आदेश पारित करती है, तो भारत सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए. ऐसा आदेश जारी करना अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि इस तरह से सरकार सीधे-सीधे छुआछूत को बढ़ावा दे रही हैं. उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने किस बुनियाद के अनुसार ये निर्णय दिया? खुले तौर पर भेदभाव किया जा रहा है.
औवैसी ने कहा कि कल कोई मुसलमान कहेगा कि वह रमजान में 30 दिन तक उपवास रखता है और 15 घंटे पानी नहीं पीता. क्या आप किसी को पानी नहीं देंगे? ओवैसी ने कहा कि यह सिर्फ नफरत की निशानी है. मुसलमानों के साथ खुला भेदभाव है.
विपक्ष ने बताया संविधान विरोधी (Kanwar Yatra Nameplate)
योगी सरकार के इस फैसले (Kanwar Yatra Nameplate) को विपक्ष ने संविधान विरोधी बताया है. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘हमारा संविधान हर नागरिक को गारंटी देता है कि उसके साथ जाति, धर्म, भाषा या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं होगा. उत्तर प्रदेश में ठेलों, खोमचों और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझी विरासत पर हमला है. उन्होंने कहा कि समाज में जाति और धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करना संविधान के खिलाफ अपराध है. यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और जिन अधिकारियों ने इसे जारी किया है, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.’
जयंत चौधरी ने कहा- बिना सोंचे लिया गया फैसला
राष्ट्रीय लोक दल के चीफ जयंत चौधरी ने भी योगी सरकार के फैसले (Kanwar Yatra Nameplate) की आलोचना की और कहा कि यह बिना सोंचे समझे लिया गया फैसला है. जयंत चौधरी ने कहा, “कांवड़ ले जाने वाले या सेवादार की कोई पहचान नहीं होती, कोई भी धर्म या जाति देखकर सेवा नहीं लेता. इस मामले को धर्म और जाति से भी नहीं जोड़ा जाना चाहिए.”
उन्होंने आगे कहा, “भाजपा ने ज्यादा नहीं सोचा, बस फैसला ले लिया और अब सरकार उसी पर निर्भर है. सरकार के पास अभी भी समय है कि वह फैसला वापस ले ले. अब हम अपना नाम कहां लिखें? क्या हमें अपने कुर्ते पर भी अपना नाम लिखना चाहिए ताकि आप नाम देखकर मुझसे हाथ मिला सकें?”
सर्वदलीय बैठक में भी मुद्दा उठा (Kanwar Yatra Nameplate)
संसद का बजट सत्र सोमवार (22 जुलाई) से शुरु हो रहा है. इसे लेकर आज सर्वदलीय बैठक हुई है. सर्वदलीय बैठक में नेम प्लेट का भी मुद्दा उठा. कांग्रेस से गौरव गोगोई, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह, समाजवादी पार्टी से रामगोपाल यादव, AIMIM से असदुद्दीन ओवैसी और लेफ्ट दलों सहित अन्य कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने कांवड़ यात्रा को लेकर योगी सरकार के फैसले को बैठक में उठाया.
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