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Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में सीबीआई ने कोर्ट के सामने स्टेटस रिपोर्ट पेश की. सुनवाई के बाद AIIMS के डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एफआईआर में 14 घंटे की देरी पर सवाल उठाए. साथ ही कहा कि कॉलेज के प्रिंसिपल को सीधे कॉलेज आकर एफआईआर दर्ज करानी चाहिए थी, वह किसका बचाव कर रहे हैं? बता दें कि चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई की. मामले में अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी.
डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो- CJI (Kolkata Rape-Murder Case)
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि डॉक्टरों ने आशंका व्यक्त की है कि उनमें से कुछ के खिलाफ अतीत में हुए विरोध प्रदर्शनों के संबंध में कार्रवाई की जा रही है. हमें आश्वासन दिया गया है कि डॉक्टर काम पर वापस लौट आएंगे. आज के आदेश की तारीख के बाद काम पर वापस आने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. हम आदेश देते हैं कि विरोध प्रदर्शन के बाद काम पर वापस आने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.
CJI ने कहा कि राज्य सरकारें डॉक्टरों के लिए कुछ सुरक्षा इंतजाम कर सकती हैं. हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय निर्देश देते हैं कि वे राज्य के मुख्य सचिवों और DGP के साथ मिलकर सुरक्षा सुनिश्चित करें. यह एक्सरसाइज 1 हफ्ते में पूरी हो जानी चाहिए. राज्य 2 हफ्ते के अंदर इसे लागू करें.
CBI ने दी ये दलील (Kolkata Rape-Murder Case)
सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा कि सबसे अधिक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मृत पीड़िता के अंतिम संस्कार के बाद रात पौने 12 बजे प्राथमिकी दर्ज की गई. उन्होंने कहा, ‘‘राज्य पुलिस ने पीड़िता के माता-पिता से कहा कि यह आत्महत्या का मामला है, फिर उन्होंने कहा कि यह हत्या है. पीड़िता के मित्र को संदेह था कि इस मामले में कुछ छिपाया गया है और उसने वीडियोग्राफी पर जोर दिया.’’
इसके अलावा सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि क्राइम सीन से छेड़छाड़ हुई है. जिसपर जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह है. जांच में ऐसी लापरवाही अपने 30 साल के करियर में नहीं देखी.
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