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Mallikarjun Kharge on Budget: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार (1 अगस्त) को मोदी सरकार के बजट पर एक बार फिर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के बजट में ‘बी’ का मतलब विश्वासघात है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुर्सी बचाओ बजट’ के एक सप्ताह बाद, शिक्षा जगत और उद्योग जगत तथाकथित ‘रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन’ योजनाओं के संबंध में मोदी सरकार की ओर से स्पष्टता का इंतजार कर रहा है. उन्होंने सवाल किया कि मोदी सरकार योजनाओं का ब्यौरा कब देगी.
खड़गे ने मोदी सरकार के बजट को बताया विश्वासघाती
मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “कुर्सी बचाओ बजट’ के एक सप्ताह बाद, शिक्षा जगत और उद्योग जगत तथाकथित ‘रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन’ योजनाओं के संबंध में मोदी सरकार की ओर से स्पष्टता का इंतजार कर रहा है. करोड़ों युवा अपनी नौकरियों की दुर्दशा का स्थायी समाधान चाहते हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी जी की सरकार अस्थायी समाधान भी न देकर उन्हें गंभीर रूप से धोखा दे रही है! हम इन दिखावटी योजनाओं पर मोदी सरकार से 2 सवाल पूछते हैं..पहला- मोदी सरकार योजनाओं का ब्यौरा कब देगी?”
कांग्रेस के घोषणापत्र से आधे-अधूरे विचार को लागू किया गया- Mallikarjun Kharge
मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे लिखा, “न तो युवाओं को और न ही उस उद्योग को, जिसे एफएम के अनुसार, इंटर्नशिप, पहली बार नौकरियां या प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रेरित किया जाना है, 5 रोजगार-लिंक प्रोत्साहन योजनाओं की रूपरेखा के बारे में कोई जानकारी है. एक सरकार, जो निजी निवेश के लिए अनुकूल माहौल नहीं बना सकी और उसे ख़त्म करने के लिए कदम उठाए, अब ऐसा व्यवहार कर रही है मानो वह अचानक 500 शीर्ष कंपनियों को प्रति वर्ष 4000 प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने के लिए प्रेरित करेगी! क्या कांग्रेस घोषणापत्र से इस आधे-अधूरे विचार को लागू करने से पहले हितधारकों से कोई परामर्श किया गया था?”
उन्होंने (Mallikarjun Kharge) कहा, “कांग्रेस घोषणापत्र में ‘प्रशिक्षुता का अधिकार’ था – जो प्रशिक्षण की एक संरचित प्रणाली है जहां व्यक्ति, जिन्हें प्रशिक्षु कहा जाता है, नौकरी पर प्रशिक्षण और कक्षा निर्देश के संयोजन के माध्यम से एक व्यापार या पेशा सीखते हैं. दूसरी ओर, मोदी सरकार के बजट में उद्योग पर केवल इंटर्नशिप थोपी गई है, जिसका कोई दीर्घकालिक समाधान नजर नहीं आ रहा है.
इनमें से किसी भी रोजगार-लिंक प्रोत्साहन योजना में सार्वजनिक क्षेत्र का घटक गायब क्यों नहीं है? क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि भाजपा आरक्षण के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस युवाओं की कोई भर्ती नहीं करना चाहती है?
खड़गे ने पूछे 2 अहम सवाल
कांग्रेस नेता ने दूसरा सवाल पूछा, “ये सभी योजनाएं अस्थायी रोजगार/इंटर्नशिप क्यों प्रदान कर रही हैं? उदाहरण के लिए, पहली बार काम करने वाले कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन योजना, जो ₹15,000 की सब्सिडी प्रदान करती है, का भुगतान तीन किश्तों में किया जाता है; दूसरी किस्त केवल तभी देय है जब कर्मचारी अनिवार्य ऑनलाइन वित्तीय साक्षरता पाठ्यक्रम से गुजरता है. प्रत्येक असंबंधित क्षेत्र के कर्मचारियों से ऐसा करने की अपेक्षा क्यों की जानी चाहिए? अधिक चिंता की बात यह है कि यह खंड कहता है कि सब्सिडी नियोक्ता द्वारा वापस कर दी जाएगी यदि भर्ती के 12 महीने के भीतर पहली बार रोजगार समाप्त हो जाता है.”
उन्होंने कहा, “यदि कर्मचारी 10 महीने में नौकरी बदलता है, तो उसे योजना का लाभ पहले ही मिल चुका है, लेकिन नियोक्ता को लागत वहन करनी होगी. क्या कोई छोटा नियोक्ता यह जोखिम उठाएगा? भारत में न्यूनतम वेतन (औसत) लगभग ₹13300 है. ऐसा लगता है जैसे इन SHAM योजनाओं में कोई नया प्रशिक्षु/नियुक्ति भी नहीं मिल रही है? मोदी सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए.”
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