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Kanwar Yatra Nameplate: कांवड़ यात्रा को लेकर विवाद जारी है. इस बीच उत्तर प्रदेश की तरह उत्तराखंड में भी कांवड़ यात्रा के रूट पर मौजूद ढाबों और दुकानों पर मालिकों के नाम लिखने का फैसला आया है. हरिद्वार पुलिस प्रशासन ने रेस्तरां मालिकों को कांवड़ यात्रा मार्ग पर नाम प्रदर्शित करने का आदेश जारी किया है.
इधर यूपी में विपक्षी दलों के साथ बीजेपी के सहयोगी दल भी योगी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं. बीजेपी के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) और बिहार की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने इस पूरे मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. वहीं इस बीच प्रियंका गांधी ने इसे संविधान पर हमला बताया है.
‘यह आदेश संविधान के खिलाफ’ (Kanwar Yatra Rules )
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा, हमारा संविधान हर नागरिक को गारंटी देता है कि उसके साथ जाति, धर्म, भाषा या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं होगा. उत्तर प्रदेश में ठेलों, खोमचों और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझी विरासत पर हमला है. उन्होंने कहा कि समाज में जाति और धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करना संविधान के खिलाफ अपराध है. यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और जिन अधिकारियों ने इसे जारी किया है, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
क्या है पूरा मामला? (Kanwar Yatra)
दरअसल, यूपी के मुजफ्फरनगर में पुलिस ने कांवड़ यात्रा के रूट में पड़ने वाले सभी दुकानदारों, ढाबों और रेहड़ी-पटनरी वालों को आदेश दिया है कि वो अपने दुकान के आगे अपने नाम की तख्ती लटका लें. योगी सरकार ने इसके बाद इस फैसले को पूरे राज्यभर में लागू कर दिया है. योगी सरकार के इस फैसले के बाद विपक्ष के साथ एनडीए के सहयोगी नेता भी नाराज हैं.
आदेश का असर दिखना शुरु
योगी सरकार के इस फैसले का असर दिखना शुरु हो गया है. मुजफ्फरनगर में दुकान के मालिक अपनी दुकानों के आगे नाम लिखकर टांग रहे हैं. दिल्ली-देहरादून नेशनल हाइवे-58 पर काफी कुछ बदल गया है. आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, हाइवे पर चाय की दुकान लगाने वाले फहीम ने अपनी दुकान का नाम वकील ‘वकील अहमद टी स्टॉल’ कर दिया है, जो पहले ‘चाय लवर पॉइंट’ हुआ करता था. फहीम ने बताया कि पुलिस के इस फरमान से उनके काम पर बड़ा असर पड़ने वाला है.
मुस्लिम वर्कर्स हटाए जा रहे नौकरी से
वहीं 25 साल पुराने ढाबे ‘संगम शुद्ध भोजनालय’ का नाम भी अब पुलिस के आदेश के बाद बदलकर ‘सलीम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय’ कर दिया गया है. ढाबे के मालिक सलीम का कहना है कि 25 साल से उनके ढाबे का नाम संगम शुद्ध भोजनालय था. लेकिन प्रशासन ने इसका नाम बदलवा दिया है.
दूसरी तरफ दिल्ली-देहरादून हाइवे पर पड़ने वाले साक्षी होटल के मालिक लोकेश भारती ने बताया कि कल हमारे पास दो पुलिस वाले आए और कहा कि दुकान के आगे नाम लिखना है. साथ ही होटल के काम करने वाले वर्कर्स के नाम भी डिस्प्ले किए जाए. पुलिस के इस आदेश के बाद दुकान पर काम करने वाले चार मुस्लिम वर्कर्स को फिलहाल हटा दिया है.
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