Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा को एक साल से ज्यादा समय बीत चुका है. राज्य में अभी भी शांति बहाल नहीं हुई है. प्रदेश के हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं. हिंसा में 220 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. हालांकि अभी भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है. विपक्षी पार्टी कांग्रेस शुरु से इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाती रही है और केंद्र सरकार से सवाल करती रही है. लेकिन इन सबके बाद भी पीएम मोदी ने आज तक एक बार भी मणिपुर का दौरा नहीं किया है.
कई बार गए राहुल गांधी
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पिछले एक साल में तीन बार मणिपुर (Manipur Violence) का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत भी हिंसा पीड़ित राज्य मणिपुर से शुरु की थी. अभी एक हफ्ते पहले भी राहुल गांधी ने मणिपुर का दौरा किया. उन्होंने मणिपुर हिंसा के पीड़ितों से मुलाकात की. साथ ही राज्य की गवर्नर अनुसुइया उइके से भी मुलाकात की.
मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) पर कई बार चिंता जता चुके हैं राहुल गांधी
राहुल गांधी ने इस दौरे के बाद मणिपुर के हालात पर चिंता जताई थी. राहुल गांधी ने अपने दौरे के बाद कहा कि मणिपुर में मेरा तीसरा दौरा है. मुझे लगा था कि यहां के हालात में सुधार हुआ होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है. ग्राउंड लेवल पर कोई इम्प्रूवमेंट नहीं है. नेता विपक्ष ने कहा कि मणिपुर को लेकर केंद्र सरकार बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यहां के हालात सुधरेंगे.
मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) पीड़ितों से मिल चुके हैं राहुल गांधी
रिलीफ कैंप में जाकर हिंसा पीड़ितों (Manipur Violence) से मिलने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि मैं रिलीफ कैंप में गया और हिंसा पीड़ित लोगों की बातें सुनीं. लोगों से मुलाकात कर उन्हें भरोसा दिया है. मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि नफरत से कोई रास्ता नहीं निकलेगा. मैं राजनीतिक बात करने नहीं आया हूं. मैंने गवर्नर से बात की. उनसे कहा कि कांग्रेस जो भी कर सकती है करेगी.
राहुल गांधी ने आगे एक बार फिर पीएम मोदी को मणिपुर आने की बात कही. उन्होंने कहा कि मैं पीएम से रिक्वेस्ट करता हूं कि एक-दो दिन का समय निकालकर मणिपुर आएं. यहां जो हो रहा है उसे समझने की कोशिश करना चाहिए. पूरा देश और मणिपुर के लोग भी चाहते हैं कि वे यहां आए और लोगों की परेशानी को समझें.
मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) को लेकर क्या कहते हैं आंकड़े?
जानकारी के लिए बता दें कि अब तक मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) में 226 लोगों की जान जा चुकी है और 1500 के करीब लोग घायल हुए हैं. वहीं 67 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं, जबकि 28 लोग अभी भी लापता हैं. 58 हजार से ज्यादा लोग रिलीफ कैंपों में शरण लिए हुए हैं.
बता दें कि मणिपुर में 35 लाख की आबादी में से आधे से अधिक मैतेई समुदाय के लोग हैं, जो इम्फाल और उसके आस पास के इलाकों में रहते हैं. इनका बड़ा हिस्सा हिंदू है. वहीं, कुकी समुदाय के लोग, जो पहाड़ी जिलों में रहती हैं, मुख्य तौर पर ईसाई हैं.
क्या है हिंसा का कारण? (Manipur Violence)
एक साल पहले 3 मई को मणिपुर में पहली बार हिंसा भड़की थी. इसी दिन पिछले साल मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा छिड़ गई थी. हिंसा इतनी भयावह रही कि पूरा देश इससे कांप उठा. सैकड़ों लोगों की जानें गईं और हजारों लोग बेघर हुए. यहां तक कि दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया गया.
इन घटनाओं के वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे तो मणिपुर की सरकार ने राज्य में इंटरनेट बंद कर दिया. इससे मणिपुर में होने वाली हिंसा की खबरें तो बाहर आनी कम हो गईं, पर हिंसा वैसे का वैसा ही रहा. अभी भी मणिपुर लगातार जल रहा है, लेकिन पीएम मोदी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. सरकारी आंकड़ो से पता चलता है कि मई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच में पीएम मोदी ने देश के अलग-अलग राज्यों की लगभग 160 यात्राएं की हैं, पर इस बीच एक बार भी मणिपुर नहीं गए.
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