देश की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी अपने चुनाव प्रचार के लिए हर तकनीक, हर हथकंड़े अपना रही है. बीजेपी ने पिछले साल गूगल एड (विज्ञापन) पर करीब 22 करोड़ रूपए खर्च किए. ये पैसे भारत की जनता के थे, जिन्हें प्रचार के लिए पानी की तरह बहा दिया गया.
सिर्फ गूगल ही नहीं, बीजेपी पीएम मोदी की छवि को चमकाने के लिए नीती आयोग से लेकर केंद्रीय एजेंसियां, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और मेन स्ट्रीम मीडिया का दुरुपयोग कर रही है.
दुष्प्रचार फैलाने का जरिया बना सोशल मीडिया
व्हाट्सऐप पर तो कई सालों से बीजेपी का झूठा एजेंडा चलता आया है. पर अब यह व्हाट्सऐप तक ही सीमित नहीं रह गया है. आज के समय में अगर आप किसी न्यूज वेबसाइट पर खबर पढ़ने भी जाते हैं तो सबसे पहले आपके सामने पीएम मोदी के चेहरे के साथ बीजेपी का एक ऐड परोस दिया जाता है.
OTT नेटवर्क्स और फिल्म मेकर्स भी बीजेपी के कब्जे में
यहां तक की ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी बीजेपी ने अपना कब्जा जमा रखा है. द वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ओटीटी नेटवर्क्स और फिल्म मेकर्स भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी के नियंत्रण में हैं. अमेरिका के बड़े स्ट्रीमिंग दिग्गज, अमेजन के प्राइम वीडियो और नेटफ्लिक्स भारत में किस तरह का कंटेंट दिखाते हैं, ये भी सत्ताधारी बीजेपी पार्टी कंट्रोल करती है.
इसके ताजा उदाहरण के तौर पर आप 2019 में रिलीज हुई फिल्म “पीएम नरेंद्र मोदी” को ही देख सकते हैं. इसका दूसरा उदाहरण “द केरल स्टोरी” है, जिसे हिंदूओं और मुस्लिमों के बीच नफरत बढ़ाने के लिए एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया.