Demolition in Bulldozer: देश में जिस तरह से बुलडोजर से कार्रवाई हो रही है. उसे देखते हुए लगता है कि बहुत जल्द लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. ऐसे हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि एक रिपोर्ट में सामने आया है. जिसमें बताया गया है कि बुलडोजर से 5 साल में डेढ़ लाख घर ध्वस्त किये गए हैं और इस कार्रवाई से 16 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इसके कारण 7 लाख से ज्यादा लोगों को मजबूरन अपने घरों से बेदखल होना पड़ा. ऐसे कई सवाल उठना लाजमी है कि क्या इस कार्रवाई से जो भी लोग प्रभावित हुए हैं वो सब अपराधी थे या फिर जो घर या संपत्तियां ध्वस्त हुई हैं वे सभी अवैध तरीके से बनाई गई थी?
लगातार बढ़ रही बुलडोजर की कार्रवाई
इस रिपोर्ट को हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (HLRN) के हवाले से मैगजीन ‘फ्रंटलाइन’ ने तैयार किया है. जिसमें बताया गया है कि साल 2017 से साल 2023 तक बुलडोजर की कार्रवाई लगातार बढ़ी है. इस दौरान कम से कम 16 लाख 80 हजार लोग बुलडोजर की कार्रवाई से प्रभावित भी हुए.
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो सालों में 59% बेदखली झुग्गी बस्ती हटाने, ज़मीन साफ़ करने, अतिक्रमण हटाने या शहरी सौंदर्यीकरण पहल के कारण हुई है. इन सभी कारणों से 2023 में लगभग 3 लाख और 2022 में लगभग 1.5 लाख लोगों का विस्थापन करना पड़ा. इसका सबसे ताजा उदाहरण लखनऊ का अकबरनगर है, जहां 19 जून को राज्य सरकार ने 1169 मकान और 101 व्यावसायिक संपत्तियां गिरा दी थी. इनमें से कई लोग दशकों से वहां रह रहे थे. वहीं, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई लोगों का कहा है कि राज्य की भाजपा सरकार इस इलाके में कुकरैल रिवर फ्रंट बनाने की योजना बना रही है.
मुस्लिम समुदाय को किया गया टारगेट
फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, एचएलआरएन के द्वारा बताया गए आंकड़ों से पता चलता है कि बुलडोजर की करवाई से 44% मुसलमान, 23 %आदिवासी, 17 % ओबीसी और 5 प्रतिशत दलित लोग प्रभावित हुए हैं. उदाहरण के लिए याद दिला दे कि अप्रैल 2022 में हनुमान जयंती की ‘शोभा यात्रा’ के दौरान झड़पें हुईं. इसके बाद नई दिल्ली नगर निगम (NDMC) ने बुलडोजर से करीब 25 दुकानें और मकान ढहा दिए. बताया गया कि इनमें से ज़्यादातर पीड़ित मुस्लिम समुदाय के थे.
इस रिपोर्ट से पता चलता है कि ऐसी कार्रवाइयों के कारण देश में करीब 1 करोड़ 70 लाख लोग इस डर में जी रहे हैं. उन्हें लगता है कि उनका घर कभी भी गिराया जा सकता है. इन कार्रवाइयों को लेकर कई बार सरकार पर बिना किसी नोटिस के लोगों के घर गिराने का आरोप लगा है. कई बार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी सरकार की ऐसी कार्रवाइयों पर सवाल उठाए हैं.
Also Read-
Bael Buddhi: अपने ही नैरिटिव में फंसी BJP, कांग्रेस ने महज 20 मिनट में कर दी बोलती बंद