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Budget 2024: मोदी सरकार द्वारा साल 2020 में लाए गए अपने विवादित कृषि कानूनों को भले ही किसानों के भारी विरोध के बाद वापस ले लिया था. लेकिन किसानों की दुर्दशा आज भी मोदी सरकार में बदतर बनी हुई है. 2013 के बाद से किसानों के बकाया कर्ज में 58% की वृद्धि हुई है, और आधे से ज़्यादा किसान कर्ज में डूबे हुए हैं.
Budget 2024 में क्या किसानों की मांगे होंगी पूरी?
किसान लगातार MSP को कानूनी दर्जा और कर्ज माफ़ी की गुहार लगाते रहते हैं. लेकिन केंद्र की मोदी सरकार उनकी मांगों का अनदेखा करती आई है और अपनी गलत नीतियों को किसानों पर थोपने का काम किया. उदाहरण के लिए मोदी सरकार के 3 काले कानूनों के ले सकते हैं. इसीलिए केंद्रीय बजट 2024-25 (Budget 2024) में किसान कल्याण के लिए MSP की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन फार्मूला के आधार पर MSP और किसानों के लिए कर्ज माफी की जरूरत है.
कांग्रेस नेता ने कसा तंज (Budget 2024)
इसे लेकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पीएम नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है. उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, केंद्र सरकार की तमाम विफलताओं में से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की क्षमता हीनता और दुर्भावना से भरा व्यवहार सबसे अधिक हानिकारक है. जहां यूपीए ने गेहूं की एमएसपी 119% और धान की एमएसपी में 134% बढ़ाई थी, वहीं मोदी सरकार ने इसे क्रमशः 47% और 50% बढ़ाया है.
आधे से ज़्यादा किसान कर्ज में डूबे (Budget 2024)
जयराम रमेश ने कहा, “यह महंगाई और कृषि इनपुट की बढ़ती कीमतों के हिसाब से बिलकुल भी लिए पर्याप्त नहीं है. किसानों का कर्ज बहुत बढ़ गया है. एनएसएसओ के अनुसार, 2013 के बाद से बकाया ऋण में 58% की वृद्धि हुई है. आधे से ज़्यादा किसान कर्ज में डूबे हैं. 2014 के बाद से हमने 1 लाख से अधिक किसानों को आत्महत्या से मरते देखा है. आगामी बजट में कृषि कल्याण के लिए केंद्र सरकार की तरफ़ से तीन मुख्य घोषणा किए जाने की आवश्यकता है…”
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप C2+50% के फॉर्मूले के अनुरूप, एमएसपी के अंतर्गत आने वाली 22 फसलों के लिए एमएसपी बढ़ाया.
- सरकार की अपनी मान्यता कि एमएसपी को कानूनी दर्जा देकर लागू करने के लिए सभी कृषि उत्पादों की ख़रीद की आवश्यकता नहीं है- के विपरीत एमएसपी को कानूनी दर्जा दें और इसे मजबूती से लागू करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करें, जिनमें राजनीतिक खरीद, बेहतर विनियमन और मूल्य अंतर मुआवजा शामिल है. इसके लिए बस नियत और साहस की आवश्यकता है.
- किसान कर्ज माफी की आवश्यकता का आकलन करने, परिमाण का आकलन करने, और कृषि ऋण माफ़ी के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक स्थायी आयोग की स्थापना. इस अत्यंत आवश्यक कदम से कर्ज में डूबे किसानों को राहत मिलेगी.
समिति का गठन, लेकिन अंतरिम रिपोर्ट जारी नहीं
कांग्रेस नेता ने कहा, “केंद्र सरकार के पास इन तीनों कदमों को उठाने के लिए पूरी शक्ति है. सिर्फ इस बात का इंतज़ार है कि स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री थोड़ी हिम्मत दिखाई और अपनी ज़िद को छोड़कर किसानों के हित में फैसला लें. नवंबर 2021 में, तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद, स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने MSP से संबंधित मामलों की समीक्षा के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की थी. सरकार को समिति गठित करने में आठ महीने लगे और दो साल बाद भी, उसने अभी तक कोई अंतरिम रिपोर्ट जारी नहीं की है. अगर सरकार चाहती तो अब तक रिपोर्ट जारी हो जाता और MSP को कानूनी दर्जा मिल जाता.”
यूपीए सरकार ने माफ किया था किसानों का कर्ज माफ
उन्होंने आगे कहा, “तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने राज्य में कर्ज लिए हुए किसानों के लिए कृषि ऋण को माफ़ करना शुरू कर दिया है. इससे कुल 40 लाख किसानों को 2 लाख रुपए तक के लोन पर राहत मिलेगी. 2008 में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए ने 72,000 करोड़ रुपए का कृषि ऋण माफ़ किया था. इससे बड़ी संख्या में किसानों को लाभ हुआ, जिनमें शामिल हैं….”
- यूपी के 54 लाख किसान
- महाराष्ट्र के 42 लाख किसान
- हरियाणा के 8.9 लाख किसान
- बिहार के 17.6 लाख किसान
- झारखंड के 6.66 लाख किसान
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, “नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की सरकार ने पूंजीपतियों के 16 लाख करोड़ रुपए के बैंक ऋण माफ़ किए हैं. लेकिन दूसरी तरफ इस साल आरबीआई से रिकॉर्ड 2.11 लाख करोड़ का लाभांश मिलने के बावजूद इसने किसानों के एक रुपए का कृषि ऋण भी माफ़ नहीं किया है. 4 जून को मिली निर्णायक व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार के घावों से अभी भी उबर रहे स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री क्या कृषि कल्याण के लिए ये महत्वपूर्ण कदम उठाएंगे?”
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