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Haryana Politics: लोकसभा चुनाव के बाद भी बीजेपी को झटके मिलने कम नहीं हो रहे हैं. हरियाणा की भाजपा सरकार अल्पमत में चली गई है. विपक्षी दल कांग्रेस की मांग है कि विधानसभा को तत्काल प्रभाव से भंग कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए. इसी कड़ी में गुरुवार को पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेशाध्यक्ष उदयभान सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों का दल राज्यपाल से मिला.

राज्यपाल को ज्ञापन सौंपते हुए कांग्रेस ने मांग की कि भाजपा सरकार को बर्खास्त किया जाए. चंडीगढ़ में राज्यपाल से मुलाकात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार को नैतिकता के आधार पर खुद ही त्यागपत्र देना चाहिए और राज्यपाल को हॉर्स ट्रेडिंग रोकने के लिए विधानसभा भंग करनी चाहिए. इससे पहले, 10 मई को भी कांग्रेस पार्टी ने गवर्नर को ज्ञापन दिया था.

कैसे अल्पमत में हरियाणा की बीजेपी सरकार

दरअसल, हरियाणा में पिछले दिनों जमकर सियासी उठापटक हुई. बीजेपी ने एक झटके में मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाकर नायब सिंह सैनी को राज्य का नया सीएम बना दिया. इसका असर यह हुआ कि बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेजेपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया. अब बीजेपी के पास कुल 90 में 41 विधायक बचे हैं. ऐसे में सरकार अल्पमत में आ गई है.

फिर भी फ्लोर टेस्ट नहीं करा रही कांग्रेस

मालूम हो कि जल्द ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस सरकार बनाने की कोई जल्दीबाजी नहीं करना चाहती . कांग्रेस इस बात को लेकर आश्वस्त है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ेगी. दरअसल, हरियाणा की जनता किसान आंदोलन के बाद से भाजपा से नाराज है, जिस बात का सबूत भी लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में देखने को मिला है.

वहीं हरियाणा में विधानसभा चुनाव में भी ज्यादा समय नहीं बचा है. दूसरा जेजेपी समेत कुछ निर्दलीय विधायक बीजेपी से संपर्क में बताए जा रहे हैं. ऐसे में अगर इनमें फूट पड़ती है तो यह विपक्ष के लिए भी अच्छी स्थिति नहीं होगी. कांग्रेस चुनाव से पहले ऐसा कोई खतरा लेने से बचना चाहती है.

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