Electoral Bond Scam: इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले को लेकर हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट से पता चला है कि 20 नई कंपनियों ने लगभग 103 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं. ये सभी कंपनियां 3 साल से कम पुरानी हैं. इसके अलावा इनमें से 5 कंपनियों ने अस्तित्व में आने से एक साल पहले ही चुनावी बॉन्ड खरीदा. वहीं इनमें 7 कंपनियां 1 साल पुरानी थीं और 8 के अस्तित्व मे आए 2 साल हुए थे. जानकारी के लिए बता दें कि तीन से कम समय तक अस्तित्व में रहने वाली कंपनियों को राजनीतिक योगदान के अनुमति नहीं होती है.
कांग्रेस ने की जांच की मांग
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस मामले में जांच की मांग की है. पार्टी का कहना है कि ‘इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाला’ दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी की देखरेख में किया गया. बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कांग्रेस ने दावा किया कि इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम पर PM मोदी ED, CBI और इनकम टैक्स के साथ मिलकर ‘वसूली रैकेट’ चला रहे थे. पार्टी ने कहा कि इस महाघोटाले की जांच होनी चाहिए.
वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना (Electoral Bond Scam) ने जानबूझकर कॉर्पोरेट राजनीतिक चंदे को गंदा कर दिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की देखरेख में इस आखिरी सुरक्षा का भी उल्लंघन किया गया.
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