देशभर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) चर्चा का विषय बना हुआ है. मुस्लिम समुदाय द्वारा इसका व्यापक विरोध भी किया गया था. लेकिन सोमवार (11 मार्च) को केंद्र सरकार ने इसे देशभर में लागू कर दिया गया. लेकिन अब सीएए लागू होने के बाद, इसके खिलाफ मुस्लिम संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं.
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) ने कहा है, “यह कानून मुस्लिमों से भेदभाव करता है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पेडिंग है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को इसे लागू नहीं करना चाहिए था.” आईयूएमएल ओर से देश की सबसे बड़ी अदालत में दी गई याचिका में सीएए को असंवैधानिक करार दिया गया है. मुस्लिम संगठन की तरफ से इस दौरान सीएए पर स्टे लगाने की मांग भी की गई है.
गौरतलब है कि इस कानून के लागू हो जाने से गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकेगी. इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए पोर्टल पर आवेदन करना होगा. लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार का यह बड़ा फैसला माना जा रहा है. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 के पहले इसके ऐलान को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं.
CAA की राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
11 दिसंबर 2019 को भारतीय संसद में सीएए को पारित किया गया था. 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस विधेयक की मंजूरी दे दी थी. इसके पक्ष में 125 और खिलाफ में 105 वोट पड़े थे.