Agnipath Scheme: मोदी सरकार की अग्निवीर योजना को लेकर युवाओं में तो नाराजगी तो थी ही, अब सैन्य अधिकारी भी इसे लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं. सेवारत सैन्य अधिकारियों और दिग्गजों का मानना है कि अग्निपथ योजना युद्ध प्रभावशीलता को कम कर देगी, जिसे मोदी सरकार नजरअंदाज कर रही है. अधिकारियों का कहना है कि अग्निवीरों की ट्रेनिंग में पैसा और कीमती समय की बर्बादी है अगर वह 4 साल बाद सेना से बाहर हो जाएंगे.
तीनों सेना पर होगा असर
सैन्य अधिाकारियों के मुताबिक, एक सैनिक, नाविक और वायुसैनिक को अपेक्षित व्यावहारिक अनुभव के साथ पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार होने में 7-8 साल लगते हैं, लेकिन अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) के तहत 4 सात बाद ही प्रत्येक बैच से 75% अग्निवीरों को सेवा से हटा दिया जाएगा. इससे भारतीय वायुसेना और नौसेना को ज्यादा नुकसान उठाना होगा क्योंकि तकनीक के मामले में ज्यादा संवेदनशील हैं. वहीं सेना पर भी इसका खराब असर होगा.
अग्निवीरों की ट्रेनिंग समय और पैसों की बर्बादी
एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि अत्यधिक व्यस्त सेना पहले से ही युद्ध के लिए तैयार सैनिकों की कमी का सामना कर रही है. ऐसे में अग्निपथ योजना में बदलाव के बिना ये कमी और बढ़ती जाएगी. सेना का कहना है कि जब 4 साल में अग्निवीर सेना से बाहर हो जाएंगे तो उनको ट्रेनिंग देने में कीमती समय और पैसा क्यों खर्च किया जाए.
पूर्व नेवी चीफ ने की आलोचना
यह पहली बार नहीं है जब किसी सैन्य अधिकारी ने अग्निपथ योजना को लेकर चिंता जाहिर की है. पूर्व नेवी चीफ भी इस योजना की आलोचना कर चुके हैं. नवंबर 2021 में नौसेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए एडमिरल के बी सिंह ने गुरुवार (4 जुलाई) को एक्स पर पोस्ट कर कहा कि अग्निपथ को आगे बढ़ाने वाली एकमात्र प्रेरणा पेंशन बिल को कम करना है. यह तथ्य कि यह योजना युद्ध प्रभावशीलता को कम कर देगी, यह सभी को पता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को समझते हैं.
एक अन्य पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अर्थशास्त्र को पीछे रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि सेना में किसी भी बदलाव या सुधार के लिए एकमात्र लिटमस टेस्ट यह होना चाहिए कि क्या यह युद्ध प्रभावशीलता को बढ़ाता है या घटाता है?
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