Income Inequality in India: कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड सुप्रिया श्रीनेत ने गुरुवार (11 जुलाई) को कहा कि आधी आबादी 5930 रुपये प्रतिमाह और सबसे अमीर 1% लोग 4,41,66 रुपये प्रतिमाह कमा रहे हैं. एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए श्रीनेत ने कहा कि देश में लगातार आर्थिक असमानता की बढ़ती खाई घातक है. साथ ही उन्होंने कहा कि इतनी असमानता समाज के लिए खतरा है.
सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि देश की आधी आबादी मतलब क़रीब 70 करोड़ लोग 5930 रुपये प्रतिमाह कमाते हैं. जबकि देश की मिडल क्लास 40% आबादी मतलब क़रीब 64 करोड़ लोग 13,750 रुपये प्रतिमाह कमाते हैं. वहीं देश की टॉप 10% आबादी, मतलब क़रीब 14 करोड़ लोग 1,12,500 रुपये प्रतिमाह कमाते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि देश की टॉप 1% आबादी मतलब करीब 1.4 करोड़ लोग 4,41,666 रुपये प्रतिमान कमाते हैं. तो आधी आबादी 5930 रुपये प्रतिमाह और सबसे अमीर 1% लोग 4,41,66 रुपये प्रतिमाह कमा रहे हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अमीर होने में कोई बुराई नहीं है, सबको होना चाहिए, लेकिन यह लगातार आर्थिक असमानता की बढ़ती खाई घातक है. इसीलिए गरीबों को मदद चाहिये, इसीलिए कांग्रेस इनकी समृद्धि की बात करती है. क्योंकि यह दो हिंदुस्तान नहीं बने रह सकते — इतनी असमानता समाज के लिए खतरा है.
मोदी सरकार में सबसे ज्यादा बढ़ी आर्थिक असमानता
गौरतलब है कि मोदी सरकार के दौर की आर्थिक असमानता (Income Inequality in India) ब्रिटिश राज से भी ज्यादा हो गई है. वर्ल्ड इनक्वॉलिटी डेटाबेस (World Inequality Database) के भारत से संबंधित आर्थिक असमानता पर लिखे गए एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014 से लेकर 2022 के बीच यानी मोदी सरकार के दौर में भारत में आर्थिक असमानता बहुत ज्यादा बढ़ी है. सबसे ज्यादा फायदा भारत के शीर्ष एक फीसदी अमीरों को हुआ है.
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